गया : शनिवार की दोपहर से लेकर देर रात तक हुए एक ड्रामे ने जंगलराज की वापसी वाले दिनों को याद करा दिया। पुलिस ने अवैध बालू खनन करते हुए एक मंत्री की पोकलेन मशीन को पकड़ लिया। छापेमारी करने गयी पुलिस टीम को ये पता नहीं था कि मामला कहां से जुड़ा हुआ है। बाद में पता चला कि पोकलेन मंत्री जी का है। नतमस्तक हुए प्रशासन और पुलिस ने रातों-रात आदर और सम्मान के साथ पोकलेन को छोड़ा। बता दें कि ये वही मंत्री हैं जिन्हें कभी मगध का आतंक कहा जाता था।
मामला गया जिले के बेलागंज इलाके का है। शनिवार की दोपहर पुलिस ने अवैध बालू खनन के ठिकाने पर छापेमारी की। बेलागंज थाना क्षेत्र के दलेलचक गांव के पास पुलिस ने छापेमारी की तो पाया कि फल्गु नदी से बड़े पैमाने पर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। पुलिस टीम ने वहां बालू निकालने में लगी पोकलेन मशीन के साथ साथ दो बाइक को भी जब्त कर लिया। पुलिस की कार्रवाई के दौरान ही अवैध बालू खनन कर रहे लोगों ने विरोध भी किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें लाठी बरसा कर खदेड़ दिया था।
पुलिस टीम शनिवार की शाम पोकलेन मशीन और दोनों बाइक को साथ लेकर थाने पहुंची। लेकिन उसके बाद खलबली मची। पुलिस को पता चला कि मशीन किसकी है और कौन बालू का अवैध खनन करवा रहा है। इसके बाद तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गये। शनिवार की देर रात पुलिस ने पोकलेन मशीन और दोनों बाइक को थाने से छोड़ दिया।
बता दें कि गया में फल्गू नदी से बालू खनन का ठेका जेडीयू के एक कद्दावर नेता से जुड़े लोगों ने ले रखा है। ठेका लेने वाली कंपनी ने ही प्रशासन से शिकायत की थी कि बेलागंज इलाके में बड़े पैमाने पर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। इसके बाद एएसपी के नेतृत्व में छापेमारी करायी गयी थी। पुलिस ने छापेमारी में न सिर्फ पोकलेन मशीन पकड़ी थी बल्कि खास बात यह भी थी कि जिस जगह से पोकलेन मशीन पकड़ी गई वहां बालू उठाव के अवैध तरीके से घाट बना हुआ पाया गया था। वहां बड़े पैमाने पर ट्रकों की आवाजाही के साक्ष्य भी मिले।
शनिवार शाम तक छापेमारी करने वाली पुलिस ने देर रात थाने से पोकलेन मशीन को छोड़ दिया। पुलिस ने इसका कारण बताया है। पुलिस के मुताबिक पोकलेन मशीन और बाइक को छोड़ने के पीछे का कारण ये है कि लघु सिंचाई विभाग की ओर यह लिख कर दिया गया है कि पोकलेन मशीन पइन की उड़ाही के लिए गई हुई थी। इसी आधार पर पुलिस ने पोकलेन मशीन और बाइक को छोड़ा है। बेलागंज थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने बताया कि लघु सिंचाई विभाग ने जब लिखित तौर पर ये दिया गया तो पोकलेन को छोड़ दिया गया।
मीडिया ने जब थानाध्यक्ष से ये पूछा कि किसी निजी वाहन को छुड़ाने के लिए क्या इतनी तत्परता से कोई विभाग पूरी तरह से जुट जाता है क्या? थानेदार ने कहा कि तो वे क्या कह सकते हैं। पहले लघु सिंचाई विभाग वाले आकर बोले कि गाड़ी विभाग से जुड़ी हुई है। उन्हें कहा गया कि लिखित तौर पर इसे दीजिये तो उन्होंने रात में ही पुलिस को लेटर लिख कर दे दिया। उसी पत्र के आधार पर रात में ही पोकलेन मशीन और बाइक को छोड़ दिया गया।
सरकार किस कदर एक्टिव हुई कि लघु सिंचाई विभाग का कार्यालय बंद होने के बाद भी विभाग के अधिकारियों ने घर से ही चिट्ठी लिख कर पुलिस को दे दिया। लघु सिंचाई विभाग के अधिकारी थाने में कैंप कर गये। जबकि छापेमारी के दौरान ही बेलागंज पुलिस ने ये बताया था कि पोकलेन मशीन को फल्गु नदी के किनारे पकड़ा गया था। लघु सिंचाई विभाग जिस पइन का जिक्र कर रहा है वहां से पोकलेन मशीन 200 मीटर से भी ज्यादा दूरी पर था। लेकिन लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने लिख कर दिया कि पोकलेन मशीन पइन की उड़ाही कर रही थी। इसके बाद पुलिस के पास कार्रवाई का कोई रास्ता नहीं बचा।