सासाराम : पौराणिक प्रमाणों और स्थाप्य चिह्नों को माने तो रोहतास जिला के कैमूर पहाड़ी पर स्थित चौरासन महादेव की स्थापना त्रेता युग के दौरान की गई थी। फिलहाल इस बिन्दु पर मतभेद है। लेकिन यहां पहुंचकर स्थाप्य कला के साथ-साथ अन्य प्रमाणों का अध्ययन यह साबित करते हैं कि रोहतासगढ़ पहाड़ी के उपर पश्चिमाभिमुखी 28 फीट के लंबे-चौड़े आधारशीला पर बना यह मंदिर अपने आप में रहस्य का खजाना है।
इस पहाड़ी से संबंध रखने वाली खरवार, मुंडा, संथाल, और कोरबा जातियां पूरे किले क्षेत्र को रूईदासगढ़ का नाम देती है। जो बाद में अपभ्रंशित होते हुए रोहिताश्व तक पहुंचा। खरवार जनजाति तो अपने को रोहिताश्व का वंशज ही कहते हैं। जिनका मानना है कि राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहिताश्व ने एक आदिवासी कन्या से विवाह रचाने के बाद यही प्रवास किया। तब इस मंदिर की स्थापना हुई।
वैसे तो 84 सीढ़ियों के माध्यम से इस मंदिर तक पहुंचने की यथार्थ कहावत के कारण इसे चौरासन मंदिर का नाम दिया गया है। सावन महीने में शिवभक्तों के लिए आकर्षण के केन्द्र रहे इस मंदिर में शिवभक्त बांदू के दशाशीष नाथ शिव स्थान से सोन नद का जल लाकर जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के बाहर पश्चिमी की तरफ बने नंदी मंदिर और नीचे उतरने पर उत्तर की तरफ पार्वती मंदिर के बारे में कहा गया है कि यह मुगलकालीन धरोहर हैं। जिन्हें राजा मान सिंह ने अपने शासन काल में तब बनवाया था। जब उन्होंने रोहतासगढ़ किला को राजधानी बनाकर यहां प्रवास किया। ये दोनो मंदिर मुगलकालीन वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। इतिहासकार श्याम सुन्दर तिवारी की मानें तो उत्तर भारतीय नागर शैली में बने रोहितेश्वर शिव की स्थाप्य अवधि निश्चित तौर पर त्रेतायुगीन है। जो हरिश्चन्द्र के जमाने में बना होगा।
यहां पूरी होती है भक्तों की मन्नतें
चौरासन शिव के बारे में कहा गया है कि सावन महीने में जो भी भक्त कांवर लेकर पहुंचता है और वह जलाभिषेक करने में सफल रहता है। उसकी एक मन्नत भगवान शिव जरूर पूरा करते हैं। शायद यही कारण है कि यहां पहुंचने वाले भक्तों में झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावे नेपाल के लोगों की संख्या ज्यादा है। जो प्रतिवर्ष कांवर लेकर यहां पहुंचते हैं और अपनी मन्नत पूरी होने की कामना करते हैं।
मंदिर परिसर में स्थित हैं गणेश और कार्तिकेय
विश्व में कभी कभार ही ऐसे शिव मंदिर प्राप्त होते हैं। जहां भगवान शिव के वाहक नंदी से लेकर मां पार्वती और उनके दोनो पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी मौजूद हों। ऐसा रोहतास जिले के रोहितेश्वर शिव मंदिर में देखने को मिलता है। जहां मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है तो ऊपर मध्य में गणेश की छोटी सी प्रतिमा। मंदिर के बाहर कार्तिकेय और नंदी के स्थान और बगल में मां पार्वती का पवित्र मंदिर। जहां दर्शन को पहुंचे भक्तों को एक ही साथ कई भगवान शिव के पूरे परिवार की पूजा करने का सौभाग्य मिलता है।