औरंगाबाद। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है परंतु लोक संस्कृति के पर्व होली को लेकर कुछ प्रदेशों में इस दिवस को समारोह के रूप में आयोजित नही किया जा रहा है। बावजूद इसके महिलाएं अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कही भी पीछे हटती नही दिख रही है। आज हम ऐसी ही एक महिला अधिकारी से मुलाकात कराने जा रहे है जिन्हे पूरे जिले की महिलाओं की समस्याओं, उनकी उत्पीड़न, उनके साथ हो रही घरेलू हिंसा से मुक्ति दिलाने की जिम्मेवारी है। ये हैं औरंगाबाद महिला थाना की थानाध्यक्ष कुमकुम कुमारी। कुमकुम ने औरंगाबाद नगर थाना में लगभग एक वर्ष पूर्व एक दरोगा के रूप में अपना योगदान दिया। लेकिन कार्य के प्रति समर्पण एवं कर्तव्य निर्वहन के कारण इन्हें महिला थानाध्यक्ष का प्रभार सौंपा गया और जबसे इन्होंने इस पद पर अपनी सेवा दी तबसे लगातार महिलाओं,युवतियों एवं किशोरियों की समस्या का निराकरण कर रही हैं।
आज उन्होंने मीडिया के समक्ष अपने संघर्षों को न सिर्फ साझा किया बल्कि नई उम्र की किशोरियों को अच्छा और बुरा समझने की नसीहत दी है। कुमकुम कुमारी ने बताया कि उन्होंने जबसे होश संभाला तब से पुलिस की सेवा में जाने का मन बना लिया।उन्होंने कहा कि लेकिन मन बना लेने से सफलता नही मिलती। बेशक ही दुनिया चांद तारों की बात करे लेकिन आज भी महिलाओं को चूल्हे चौके तक ही सीमित रखने की कोशिश की जाती है। उन्होंने बताया कि जिस परिवेश से वे थी वहां महिलाओं को पुलिस सेवा में आने की आजादी नहीं थी। जिसके लिए उन्हें न सिर्फ संघर्ष करने को मजबूर होना पड़ा बल्कि कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और कई सामाजिक धारणाओं एवं मान्यताओं की कसौटी पर खुद को सिद्ध करना पड़ा और तभी जाकर उनकी तपस्या और परिश्रम काम आए और उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया। आइए इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उनके संघर्षों को महिलाओं तक पहुंचाएं ताकि देश की दबी कुचली महिलाएं प्रेरणा ले सकें।