औरंगाबाद। सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर के मुखिया अलावती देवी के आवास पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के निर्देश पर आधुनिक हिंदी के प्रख्यात कवि लेखक,प्रगतिवाद के प्रतिनिधि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय जी के 112 वीं जयंती के अवसर पर साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुखिया प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह के अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के महामंत्री धनंजय जयपुरी की गरिमामई उपस्थिति रही। संचालन सम्मेलन के मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया। आधुनिक हिंदी को दी नई धार, कितनी नावों में कितनी बार विषयक संगोष्ठी में संबोधन के क्रम में जयपुरी जी ने कहा कि अज्ञेय जी आधुनिक हिंदी के दोनों विधाओं गद्य और पद्य के विशिष्ट कृतियों के रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं।अज्ञेय की प्रगतिवादी विचारधारा छायावादी से प्रभावित दिखती है। सुरेश विद्यार्थी ने अपने संबोधन में कहा कि अज्ञेय ने नई कविता को हिंदी साहित्य मे प्रतिष्ठापित करने का कार्य किया है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी अज्ञेय जी को कितनी नावों में कितनी बार काव्य पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। इनके काव्यों पर यायावरी का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। इनके काव्यों को जब पाठक हृदयंगम करते हैं तो उन्हें मनोवैज्ञानिक होना पड़ता है। अज्ञेय की भाषा संस्कृतनिष्ठ है। इन्होंने अपनी भाषा को बोलचाल के शैली में ही काव्य में प्रस्तुति दी है अध्यक्षीय उद्बोधन में मुखिया प्रतिनिधि ने कहा कि अज्ञेय एक ऐसे रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं जिनकी कृतियों ने अंतर्मुखी का आवरण छोड़ दिया और रचनाएं बाहरी आवरण में विचरण करने लगी और साहित्य के सभी विधाओं में इन्होंने अपनी छाप छोड़ी गद्य पद्य संस्मरण कहानी उपन्यास विचार साहित्य सभी पर इन्होंने अपनी लेखनी चलाई और उत्कृष्टता हासिल की। होली के मौके पर आयोजित साहित्य गोष्टी में उपस्थित लोगों ने एक दूसरे को अबीर गुलाल भी लगाया। विदित हो कि औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के भवानीपुर गांव में अज्ञेय जी का पदार्पण उस समय हुआ था जब शंकर दयाल बाबू के जीवन काल में कवि सम्मेलन हुआ करता था। कामता सेवा केंद्र के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम उन्होंने हिस्सा लिया था और इस स्थान पर 3 दिन व्यतीत की थी। उनकी याद में कामता सेवा केंद्र के प्रांगण में एक प्रतिमा भी लगी हुई है।आज के गोष्ठी में राणा सुनील सिंह सुजीत कुमार सिंह, पवन कुमार सिंह नंदजी यादव, गोलू कुमार गुप्तेश्वर प्रसाद गुप्ता अनुज कुमार जितेंद्र कुमार सिंह राहुल कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
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