- होली सामाजिक समरसता और सौहार्द का लोकपर्व है।
औरंगाबाद। जनेश्वर विकास केन्द्र के महिला प्रकोष्ठ द्बारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया । इस अवसर पर 8 मार्च को कवितालय औरंगाबाद में “महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना: देश के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी ” बिफर पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी । संगोष्ठी की अध्यक्षता कविता विद्यार्थी ने किया और संचालन शिक्षिका भावना मिश्रा उर्फ गुड़िया ने किया । डौली सिंह , रेणु सिंह, कविता बरियार संजु सिंह, अनीता सिंह और बी एड के छात्रा सुमन सुरभि ने कहा कि प्राचीन काल में महिलाओं को देवी के रुप में पुजा जाता था और भरपूर सम्मान दिया जाता था जिसका प्रमाण आज भी सुनने एवं पढ़ने को मिलता है । राम के पहले सीता , कृष्ण के पहले राधा का नाम लिया जाता था । तब देश में रामराज था , देश को जगत गुरु के नाम से जाना जाता था और देश को सोने की चिड़ियां कहा जाता था यानी देश में किसी चिज़ की कमी नहीं थी ।लेकिन आज महिलाओं को वह सम्मान नहीं मिल रहा है जो चिंता की बात है । यही कारण है कि अभी हमारा देश पीछे हो गया है । आज पुनः महिलाओं को पुरुष के बराबरी का दर्जा मिल जाते तो देश पुनः गौरवशाली इतिहास प्राप्त कर सकता है । तत्पश्चात होली मिलन का कार्यक्रम किया गया जिसमें वक्ताओं ने होली को सामाजिक समरसता और सौहार्द का लोकपर्व पर्व बताया तथाएक दुसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाकर शुभकामनाएं दी । कार्यक्रम मे सुनीता देवी,शोभा देवी, मालती देवी,प्रमीला देवी, सरोज देवी, सीमा सिन्हा, अनीता सिंह सरिता सिंह आदि थे । अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन संजु सिंह ने किया ।