सासाराम। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अपराध पर लगाम लगाने, अपराधियों की पहचान कर उसकी गिरफ्तारी के साथ-साथ असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए रोहतास जिला अधिकारी के निर्देश पर करोड़ों रुपए की लागत से शहर के सभी गालियों एवं चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। परंतु जब सीसीटीवी कैमरे की अत्यधिक जरूरत पड़ी तब जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे ने भी धोखा दे दिया। अब दंगाइयों को पकड़ने के लिए जिला पुलिस प्रशासन को आम लोगों की मदद लेनी पड़ रही है। बता दें कि शहर में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच में हिंसक झड़प हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की भी मौत हो गई है।
इधर दंगाइयों की पहचान करने में जिला पुलिस प्रशासन असफल दिखाई दे रही है, क्योंकि शहर में लगाए गए सभी सीसीटीवी कैमरे बेकार साबित हो रहे हैं। उन सीसीटीवी कैमरे से कोई खास सुराग पुलिस को हाथ नहीं लगी। कारण यह है कि शहर के आधे सीसीटीवी कैमरे किसी ना किसी कारण से बंद पड़े हुए हैं। खासकर वैसे इलाके जहां पथराव, उपद्रव एवं आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया था। क्योंकि शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे या तो बंद पड़े थे या फिर दंगाइयों द्वारा उसे तोड़ दिया गया। जिस कारण पुलिस प्रशासन को दंगाइयों की पहचान करने में असुविधा हो रही है। इधर रोहतास एसपी ने व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया के माध्यम से आम नागरिकों से अपील कर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने की अपील कर रही है। सरकारी तंत्र की विफलता से जिला प्रशासन पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं कि जब सरकारी तंत्र से उपद्रवियों की पहचान नहीं हो पा रही है, तो फिर क्यों करोड़ो रुपए खर्च करके सीसीटीवी कैमरे हर गली हर चौराहों पर लगाए गए हैं।