टांगे वाले का बेटा माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस सुरक्षा में गोली मार दि गई और पुलिस कुछ कर ना सकी अब योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने में पूरा विपक्ष लगा है बेटा अशरफ का एनकाउंटर होना और अतीक अहमद का दिनदहाड़े मीडिया और प्रशासन के सामने हत्या कर देना इस लिए पूरा सियासत गर्माया हुआ है विपक्ष का सवाल जोरदार है उत्तर प्रदेश सरकार में आखिर कब तक प्रशासन के सामने हत्या होती रहेगी प्रशासन का यही हाल रहा तो आम जनता की सुरक्षा के बारे में क्या सोचा जाए वही अलग-अलग न्यूज़ चैनलों से पता चला है कि उत्तर प्रदेश की 29 फीसदी जनता यह मानती है कि बहुत बड़ा राज खुलने वाला था जो मौत के बाद अतीक अहमद के कब्र में दफन हो गया 27 फीसदी लोगों का यह मानना है कि हत्या सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया हैं,
वहीं 19 फ़ीसदी लोग का मानना है कि यह गैंगवार के नजरिए से किया गया है 8 फीसदी लोगो का मानना हैं कि यह आपसी रंजिश है और 17 फ़ीसदी लोगों को पता नहीं का जवाब आया है, यह आंकड़ा एबीपी न्यूज़ के सर्वे से निकल कर सामने आया है सर्वे में सवाल यह भी किया गया कि क्या पुलिस की नाकामी है तो 35 फ़ीसदी लोगों का मानना है पुलिस की नाकामी है वही 33 फ़ीसदी लोग पुलिस की नकामी नही मानते हैं 32 फ़ीसदी को पता ही नहीं प्रयागराज में अतीक अहमद 15 अप्रैल को कॉल्विन हॉस्पिटल में आया था जहा अपराधियों ने हॉस्पिटल के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी आरोपी लवलेश तिवारी सोनी सिंह और अरुण मौर्य को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया था यह मामला उस समय घटा जब अतीक अहमद को नियमावली के अनुसार मेडिकल चेकअप के लिए लाया गया था
वही मीडिया ने अतीक अहमद को देखते ही घेर लिया और बेटे अशरफ के एनकाउंटर वाले सवालों पर बात करने लगे इसी के आड़ में अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया,अब सवाल प्रशासन पर हैं की बिना मीडिया की चेकिंग किए प्रशासन ने आखिर अनुमति दिया ही क्यों था यह सवाल बड़ा होते जा रहा हैं , वही उसके बेटे और उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी असद अहमद की झांसी में पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी जबकि उसी दिन उमेश पाल हत्याकांड में कोर्ट में पेशी थी ।