- जिले के सभी प्रखण्डों में नाईट ब्लड सर्वे जारी, 4200 से अधिक सैम्पल हुए एकत्रित
सासाराम। देश से 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है। इसके लिए लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रतिवर्ष सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाई जाती है जिसमें फाइलेरिया के परजीवी को बढ़ने से रोकने के लिए लोगों को दवा खिलाई जाती है। इसके पूर्व नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से लोगों के रक्त की जांच करके फाइलेरिया पीड़ित क्षेत्र का पता लगाया जाता है साथ ही लोगों में फाइलेरिया के परजीवी का भी पता लगाया जाता है। रोहतास जिले में इस बार एक साथ सभी 19 प्रखण्डों में जारी नाइट ब्लड सर्वे अभियान जारी है। पिछले वर्ष जिले के 7 प्रखंडों में 8 गांव नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाया गया था। इस दौरान लगभग 4000 लोगों का सैंपल जांच किया गया था जिसमें 43 के आसपास लोग फाइलेरिया से पीड़ित पाए गए थे। वही इस बार सभी प्रखंड के कुल 42 गांव में एक साथ नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जा रहा है। जिला फाइलेरिया विभाग एवं केयर इंडिया टीम के द्वारा लाइन लिस्टिंग के अनुसार रोहतास जिले में 1500 से 1600 हाथीपांव के पीड़ित मरीज पाए गए हैं।
लक्ष्य पर दिया जा रहा है बल
इस वर्ष 10 अगस्त से (एमडीए) सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत होनी है, इसके पूर्व नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से फाइलेरिया की स्थिति का पता करके एमडीए अभियान पर बल दिया जाएगा। नाईट ब्लड सर्वे के लिए राज्य स्वास्थ समिति द्वारा प्रत्येक गांव में 300 लोगों का सैंपल एकत्रित करने का दिशा निर्देश दिया गया है। इस तरह से रोहतास जिले में 42 गांव में 12600 लोगों का रक्त संग्रहित कर जांच किया जाना है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिला फाइलेरिया विभाग द्वारा अभियान जारी है। जिले में 19 जून से शुरू नाईट ब्लड सर्वे 24 जून तक आयोजित किया जाएगा। पिछले 3 दिनों में रोहतास जिले में अब तक 4200 से अधिक लोगों का रक्त संग्रह कर लिया गया है।
हाथीपांव का नही है कोई इलाज
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी जयप्रकाश गौतम ने बताया कि हाइड्रोसील का ऑपरेशन करा कर फाइलेरिया से छुटकारा पाया जा सकता है परंतु हाथीपाव का इलाज या ऑपरेशन पूरे भारत में मौजूद नहीं है। उन्होंने बताया कि हाथीपांव का लक्षण सामान्यतः शुरुआती दौर में दिखाई नहीं देता है। इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद 8 से 10 सालों में इसके लक्षण दिखाई देता है तब तक बहुत देर हो जाती है और यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते है, इसलिए इसकी जांच के लिए सैम्पल रात्रि 8.30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक एकत्रित किया जाता है और 24 घंटे के भीतर सैंपल की जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि सामान्य दिखने वाले लोग में भी फाइलेरिया ले परजीव हो सकते हैं ऐसे में सामान्य दिखने वाले लोग भी अभियान के तहत अपना जांच जरूर करवाएं, क्योंकि यह अभियान साल में एक ही बार चलाया जाता है।