सासाराम। पुष्कल फाउंडेशन द्वारा आचार्य डॉ. बुद्धनाथ प्रसाद की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक चेतना सह उत्कृष्टता सम्मान समारोह का आयोजन सोमवार को स्थानीय शेरशाह महाविद्यालय में किया गया। इस समारोह का उपस्थित अतिथि महर्षि आंजनेश, उप मेयर सत्यवंती देवी, पूर्व जिला परिषद् अध्यक्षा प्रमिला सिंह तथा जिला परिषद् सदस्य रेशमा कुमारी द्वारा दीप प्रज्जवल्लन एवं स्थानीय छात्रों द्वारा स्वागत गीत से हुआ। उक्त समारोह का संचालन करते हुए मयंक कुमार ने शहर में 1970 के दशक से कला के क्षेत्र में सभी विभूतियों द्वारा कालांतर में सासाराम में जगाये अलख की चर्चा करते हुए जुड़े विभूतियों को याद किया. तत्पश्चात् 80 के दशक में म्यूजिकल समूह के माध्यम से डाले गए नींव में डॉ. बुद्धनाथ की भूमिका व् नगर के वरिष्ठ गुरुओं द्वारा आज के कालखंड में विद्यालयों में कार्यरत कला संकाय के शिक्षकों को तैयार करने में दिए योगदान की सराहना की। कार्यक्रम के उद्देश्य के अनुरूप शास्त्रीय संगीत की धूमिल होती छवि को उजागर करते हुए इस मार्ग पर बढ़ रहे तीन पीढ़ियों के कलाकारों को जिनमें प्रथम पीढ़ी से संगीत के क्षेत्र में रामपुकार मिश्रा, जनेश्वर चौबे तथा नाट्य क्षेत्र के डॉ. मनन व् अन्य को उत्कृष्टता सम्मान से नवाजा गया। साथ ही दिनेश पांडेय तथा स्व. नन्दलाल दुबे व अन्य की उपलब्धियों को याद करते हुए द्वितीय पीढ़ी के संगीत में शाकिर अली, कौशलेन्द्र ‘रिंटू’, नवीन दुबे, क्रांति मिश्रा व् ललित कला क्षेत्र के हरेंद्र कुमार को सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र व अवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान आज की पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत में रूचि बढ़ाने के लिए विभिन्न राग, भजन और कई वाद्य यन्त्र के बंदिश की कलाकारों द्वारा दिए एकल प्रस्तुति का सभी कला प्रेमियों ने आनंद लिया। इस संध्या पर विकास खत्री ने आचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला तथा सामाजिक योगदान एवं उनके दूरदर्शी सोच को दर्शाते हुए उनके द्वारा 1991 में नगर में संगीत महाविद्यालय के स्थापना में महत्वपूर्ण भूनिका की चर्चा की तथा कालांतर में विभिन्न संगीतज्ञ द्वारा दिए योगदान को उजागर किया। उक्त अवसर पर सभी अतिथियों ने डॉ. बुद्धनाथ को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संस्कृति को बचाये रखने में सामुहिक प्रयास का आह्वान किया जिसमें सत्यवंती देवी ने अपने संस्कार को बचाये रखने के लिए नई पीढ़ी को अपने अभिभावक और माता पिता पर ध्यान देते हुए उनके बताये रास्तों को जीवन का अहम् हिस्सा बनाने की अपील की।
महर्षि आंजनेश ने उनके साथ बचपन में बिताये समय का उदाहरण देते हुए उनके द्वारा शिष्यों व पुत्र को मिले गुण और राष्ट्र निर्माण में दिए योगदान की सराहना करते हुए उनके मार्ग पर संयुक्त रूप से चलने को कहा तथा प्रमिला सिंह ने संस्कार युक्त शिक्षा को संस्कृति को बचाए रखने का आधारभूत स्तंभ बताया।उत्कृष्टता सम्मान समारोह में नेतृत्व कर रहे प्रभात रंजन, मनीष श्रीवास्तव तथा अंकित पाण्डेय के सहयोग से संगीत प्रेमियों को कला मंच से जुड़े अनुभवी मार्ग प्रशस्त करने वाले अभिभावकों से प्रेरणा पाने का अवसर मिला। इस सांस्कृतिक चेतना संध्या पर नगर में शास्त्रीय तथा पौराणिक गरिमा को बढ़ाने के प्रयास में टीम की ओर से मुख्य भूमिका में मयंक कुमार, विकास खत्री, प्रभात रंजन, मनीष श्रीवास्तव, अंकित, राजू शर्मा, रूपा रानी, वंदना, किरण, रिद्धि, वैभवी, सुधांशु तथा स्थानीय जयशंकर प्रसाद, डॉ. एस.पी. सिंह, मनोज श्रीवास्तव व अन्य लोग मौजूद रहें।