राजपुर। राजपुर क्षेत्र अन्तर्गत काव नदी में बाढ़ का पानी रविवार को उफान पर पहुंच गया.काफी तेज रफ्तार से नदी का बढ रहे जल स्तर के कारण नदी अपने किनारे से ऊपर निकल खेतों में बहना शुरू कर दी है. काव नदी के ऊपरी इलाके से लेकर नीचे तक के क्षेत्रों में विगत चार दिनों से हो रहे भारी बारिश के कारण पानी का दबाव तेजी से बढ़ रहा है.जिससे एक-दो दिन के अंदर हीं प्रखंड क्षेत्र के नदी तटीय इलाके में बाढ़ आ जाने की संभावना प्रबल हो गई है.
बाढ़ को ले कहते हैं समाजसेवी
नदी में लगातार कई वर्षों से आ रहे बाढ़ के कारण क्षेत्र के किसानों को विगत कई वर्षों से धान की फसल का नुकसान हो रहा है.क्षेत्र के समाजसेवी अतुल चौबे,पूर्व प्रमुख राजेंद्र सिंह,भाई जयराम सिंह अकेला,मुन्ना सिद्धकी,सिपाही यादव,पूर्व जिला परिषद सदस्य निराला पाण्डेय समेत अन्य ने बताया कि नदी में हर साल आ रहे बाढ़ के कारण क्षेत्र के किसानों के धान की फसल का पूर्णतः नुकसान हो जा रहा है.पूर्व के अनुभवों से चिंतित किसान अपने खेतों में धान का बिचड़ा जल्द से जल्द लगाने के लिए परेशान हैं.खेत जोतने व रोपने की होड़ मची हुई है.इस वर्ष लगभग पांच करोड़ रूपया खर्च कर सरकार द्वारा मनरेगा से काव नदी की साफ-सफाई कराई गई है.अब देखना यह है कि इस साफ-सफाई का लाभ किसानों को मिलता है अथवा नही ?
पकड़ी गांव के श्री भगवान तिवारी, राजपुर के पप्पू सिंह, कपसिया के अजय सिंह, सुअरा के मलू तिवारी, कर्मकिला के मनोज दुबे,नोनियाडिह के किशुन चौधरी,रामोडिह के अनिल राय समेत अन्य ने बताया कि इमाझम हो रहे बारिश से खेतों में सिंचाई के लिए मगजमारी नहीं करना पड़ रहा है.नहर और वर्षा के पानी से कृषि कार्य में तेजी आई गई है.एक दो गांव की बात छोड़ दी जाए तो हर जगह बधार के खेतों में जुताई करते ट्रैक्टर देखा जा रहा है.पहले मानसून के कमजोर पड़ने से नहरी क्षेत्र के खेतों में पानी की आवक कम हो पाता था.जिससे किसानों को कच्छप चाल से खेतों की जोताई रोपाई करना पड़ता था. इलाके में बह रही काव नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गया है. पकड़ी, मिश्रवलिया, राजपुर, कर्मकिला, बिशुनपुर, कुशधर, सुअरा, कपसिया, हबबूपुर, छपरा, निमा, कुसुमहरा, तेतराढ, रामोडिह, सियांवक,बाजितपुर समेत अन्य गांवों के किसान नदी तटीय खेतों की रोपाई में जुटे हुए हैं, ताकि नदी में बाढ़ आने से पहले खेतों में रोपे गए धान के पौधे अच्छी तरह से मिट्टी में अपनी जड़ें फैला ले. अगर हफ्ते भर भी धान पौधे को मौका मिल गया तो बाढ़ आने की सूरत में पौधों को ज्यादा क्षति नहीं पहुंचा पाती है.
कहते हैं पदाधिकारी
मामले में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनुज कुमार शर्मा ने बताया कि काव नदी के बाढ़ पर नजर बनाए हुए हैं.किसानों के नुकसान की निगरानी हेतु कर्मियों को निर्देशित कर दिया गया है