मलमास मेले को लेकर इनदिनों बिहार में खूब चर्चा हो रहा है. नालंदा के राजगीर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मेले का अधिकारित उद्घाटन कर दिया है. अब हम तो इतने नहीं जाते मेला घूमने लेकिन आज हम बात करेंगे बिहार के उन प्रशिद्ध और विश्व विख्यात मेले के बारे में जिनका एक सुनहरा अध्याय रहा है.
आम तौर पर बच्चो से मेले का जिक्र करते ही उन्हें ढेर सारे खिलौने, तरह- तरह के पकवान, मनोरंजन के साधन और भी कई तरह के सामान देखने को मिल जाता है.
ये स्थानीय व्यपार के लिए काफी लाभ दायक भी होता है. जैसे छोटे दुकानदार को अच्छी खासी आमदनी भी होती है. अब बात बिहार के अलग अलग उन मेलों की करेंगे जो काफी लोकप्रिय और प्रचलित है. सोनपुर का पशु मेला तो विश्व विख्यात है. जानकारी के लिए बता दे की बिहार में 14 मेलों को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त हैं.
इस मेलों के अलावा 5 ऐसे मेले जिन्हें राजकीय मेले को दर्जा प्राप्त है. जो केवल नालंदा में ही लगते हैं. आज हम बात करेंगे उन्ही पांच मेलो के बारे में जो नालंदा और राजगीर की भव्यता को दिखाते है.
1. मलमास मेला
18 जुलाई से राजगीर में मलमास मेला का आयोजन होने वाला है. मलमास मेले का महत्व इसलिए भी है क्योंकि ये मेला प्रत्येक 3 साल के अवधि पर आयोजित किया जाता है. ऐसे मान्यताएं है की इस दौरान 33 करोड़ देवी देवताओं का यहाँ वास होता है. इसमें शामिल होने के लिए देश और विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. यहाँ के सप्तधारा और ब्रह्माकुंड में स्नान करने का विशेष मान्यता है. दन्त कथाओं के अनुसार मलमास मेले में काग कभी शामिल नहीं होते, कहा जाता है की ब्रह्मा के पुत्र राजा बासु ने यहाँ पर एक महायज्ञ किया था. लेकिन काग को नेवता देना भूल गए थे. इसलिए पुरे मलमास मेले के अवधी में कौवे नहीं दिखाई देते हैं.
2. राजगीर का मकर संक्रांति मेले
चार साल पहले राजगीर के मकर संक्रांति मेले को राजकीय दर्जा दिया गया था. ये मेला इसलिए भी आकर्सन का केंद्र बन जाता है क्यूंकि ये मगध साम्राज्य की धरती पर लगाया जाता है. इस मेले में किसानों द्वारा उपज की जाने वाली सब्जी, लाठी सहित पौराणिक चीज़ें होती है. यह मेला किसान मजदूरों के लिए लगाया गया था.
3. सिलाव का बड़गांव मेला
सिलाव का बड़गांव मेले को भी राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. ये चार दिनों तक चलने वाला मेला छठ के दौरान लगता है. और छठ बिहार के लिए क्या है ये हमें बाटने की जरुरत नहीं है. चैत्र व कार्तिक माह में एक लगता है. यहां हजारों श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ्य देने आते हैं.
4. एकंगरसराय का औंगारीधाम मेला
यहा भी छठ के दौरान मेला का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यताएं है कि भगवान कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब ने सूर्यपीठ की स्थापना की थी. साथ ही देश मे 12 ऐसी जगह है जहा कृष्ण भगवान गए थे. उन 12 में से 2 नालंदा में है. और यही एकंगरसराय का औंगारीधाम मेला है.
5. सरमेरा का पहनावा का श्री श्री 108 श्री शरण निवास बाबा महतो साहब मेला
नालंदा के सरमेरा प्रखंड का परनावा मेला गांव है. जहां बाबा महतो साहब की जयंती पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है. यह मेला वैशाख पूर्णिमा के दिन लगता है. इस मेले को वर्ष 2018 में राजकीय मेले का दर्जा मिला है. यहां परनावां गांव में श्री श्री 108 श्री शरण निवास बाबा का मंदिर भी बना है.