बिहार सरकार चौथा कृषि रोड मैप लाने वाली है। 18 अक्टूबर को इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू करेंगी। वहीं इससे पहले किसानों के नेता राकेश टिकैत तीन दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं। राकेश टिकैत 7 अक्टूबर को RJD के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के क्षेत्र रामगढ़ के सिसौढ़ा और रोहतास के मलिया बाग में किसानों की सभा को संबोधित करेंगे। 8 को कैमूर के भभुआ में उनका कार्यक्रम है। मसोई में टिकैत किसानों की बैठक को संबोधित करेंगे। इसके बाद 9 अक्टूबर को औरंगाबाद के गांधी मैदान में टिकैत की सभा है। टिकैत के बिहार दौरे के कार्यक्रम की जानकारी सुधाकर सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को दी है। सुधाकर सिंह ने लिखा है कि सभी किसान भाईयों से आग्रह है कि किसानों की इस बहुमूल्य लड़ाई में अपना बहुमूल्य योगदान दें। सुधाकर सिंह कहते हैं कि किसानों से जुड़ा सवाल वे पहले भी उठाते रहे हैं। बिहार में मंडी कानून लागू करने, जमीन के सवाल और अनाज का उचित मूल्य दिए जाने के सवाल पर राकेश टिकैत आ रहे हैं। यह सवाल न तो सत्ता पक्ष, न विपक्ष, न राजनीतिक का है, यह सवाल किसानों के जीवन-मरण का सवाल है।
दरअसल जब सुधाकर सिंह नीतीश-तेजस्वी की सरकार में कृषि मंत्री थे तब कहा था कि तीनों कृषि रोड मैप से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ है। वो लगातार मंडी कानून लागू करने और किसानों को उपज का सही मूल्य देने की मांग करते रहे। किसानों से जुड़े सवाल उठाने, विभाग में कई पीत पत्र लिखने और अफसरशाही पर सवाल उठाने के बाद सुधाकर सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। सुधाकर सिंह ने विधान सभा में प्राइवेट मेंबर बिल भी लाया था। सुधाकर सिंह ने 18 फरवरी 2023 को मुख्यंमत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कई नसीहतें दी थीं। पत्र में उन्होंने लिखा था कि 2012 में जब दूसरा कृषि रोड मैप लागू किया गया था, तो बिहार में कुल खाद्यान उत्पादन 177.8 लाख टन था। वहीं 2022 में यह 176.02 लाख टन है, जो कि दस सालों के बाद एक लाख टन कम है। कृषि रोड मैप मे करीब तीन लाख करोड़ रुपए खर्च करके यही फायदा हुआ ना कि बिहार में अनाज की पैदावार एक लाख टन घट गई? बिहार में नीतीश कुमार जब 2006 में NDA के साथ थे, उसी समय APMC अधिनियम और मंडी व्यवस्था को उन्होंने खत्म कर दिया था।
चर्चित किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 17 अक्टूबर 2022 को पत्र लिखा था। टिकैत ने नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा था कि ‘बिहार में पिछले 15 से 16 सालों से मंडियां बंद हैं, जिससे वहां के उन किसानों को ना तो फसल बेचने का कोई प्लेटफार्म मिल पाता है और ना फसल का भाव प्रभावी रूप से मिल पा रहा है। बिहार का किसान अपने द्वारा पैदा किए हुए फसल को दलालों के माध्यम से लागत से भी कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति बिहार में बदहाल हो चुकी है। ना तो उनके पास में खेत में फसल बोने के लिए बीज का पैसा है और ना परिवार का पालन पोषण करने के लिए उपयुक्त धनराशि है। मुख्यमंत्री जी बिहार में मंडी न होने के कारण बिहार का किसान दूसरे प्रदेशों में आकर मजदूरी करने पर विवश हैं। जो छात्र, किसान परिवार से आते हैं परिवार में धन उपलब्ध ना होने के कारण उनकी शिक्षा पर इसका बहुत असर पड़ रहा है। हमारे आग्रह पर बिहार में दोबारा से मंडी शुरू किए जाने का काम किया जाए, इससे किसान को फसल बेचने का प्लेटफार्म और न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए। अगर यह काम नहीं होता है तो बिहार में एक बड़ा आंदोलन करने पर हम मजबूर होंगे।