बक्सर: जदयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने कहा है कि गरीबों की पहचान कर उनके लिए प्रभावी नीतियों का निर्माण करना बेहद जरूरी है. इसका एकमात्र उपाय जातिगत गणना है. उन्होंने कहा कि जाति भारतीय समाज की सच्चाई है. कई जातियां अब भी विकास की बाट जोह रही हैं. जातिगत गणना से सभी जातियों की आर्थिक और सामाजिक समीक्षा करके ही समाज के संपन्न वर्गों और कमज़ोर तबकों की पहचान की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि बिहार से पहले कुछ राज्यों ने जातिगत गणना करवाने का प्रयास जरूर किया, लेकिन वे असफल रहे. यह सिर्फ बिहार में सफल रहा, जिसका सीधा श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों को जाता है. भाजपा के लगातार अड़ंगे लगाने के बावजूद बेहद कम समय में इसे करवाकर मुख्यमंत्री ने साबित कर दिया है कि उनके नेतृत्व में बिहार के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है.
राज्यस्तरीय मनरेगा सम्मेलन में मजदूरों को 200 दिन काम और 600 रुपये दैनिक मजदूरी की मांग उठी. जमाल रोड स्थित कार्यालय में खेतिहर मजदूर यूनियन की ओर से सम्मेलन हुआ. अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त सचिव डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने 44 श्रम कानून को समाप्त करके चार श्रम संहिता में बदल दिया है. प्रांतीय महासचिव भोला प्रसाद दिवाकर ने राज्य स्तरीय मनरेगा कल्याण बोर्ड के गठन की मांग की. उद्घाटन माकपा विधायक अजय कुमार ने किया. अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र चौरसिया ने की.