पटना: राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे, पूर्व मंत्री और राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि कृषि मैप पर राज्यपाल ने जो सवाल उठाया, उससे पहले मैं इसपर पूरा विवरण दे चुका हूं। उन्होंने कृषि रोड मैप पर खर्च को बेतुका बताया। चौथे कृषि रोड मैप के शुभारंभ के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है। एक ओर सीएम नीतीश कुमार बिहार में कृषि सुधार पर तारीफ करते दिखे तो वहीं उनके ही सहयोगी दल राजद के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री ने इस पर सवाल खड़े किए।
सुधाकर सिंह ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि चौथा कृषि रोड मैप को भाषणों के जरिए हमने देखा और सुना। उसका लास्ट पेपर जो है या जो डिक्लियर डॉक्यूमेंट हैं। इसकी प्रति हमारे पास पहुंची नहीं है। मैंने कृषि विभाग से प्रति की डिमांड की है। आते ही देखेंगे कि चौथे कृषि रोड मैप में पिछले कृषि रोड मैप से क्या अंतर है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच शब्दों के बाण पर सुधाकर सिंह ने कहा कि राज्यपाल महोदय के पास सीधे-सीधे कोई जानकारी हासिल करने का तरीका नहीं है। जो सरकार दस्तावेज प्रस्तुत करती है, वह राज्यपाल देख पाते हैं।
सवाल यह है कि पिछले तीन कृषि रोडमैप को लेकर बिहार की जनता के मन में शंका है कि आपने इन तीनों को ठीक से लागू नहीं किया। दूसरी बात यह है कि हमने जितने खर्चे किए कि बिहार के किसानों की आमदनी बढ़े और उत्पादकता बढ़े ऐसे तमाम लक्ष्य विफल रहे। विकास को लेकर जो आंकड़ों का खेल है वह भी 2012 में आकर रूक जाते हैं। 2005 से लेकर 2012 के बीच में आप विकास की बात कर रहे हैं, कृषि क्षेत्र में। इस दौर में तो आप कृषि रोड मैप पर खर्च ही नहीं कर पाए। जब डाटा पॉजिटिव हैं बिना पैसा खर्च किए हुए और जब आप पैसा खर्च करते हैं यह कहकर कि इसमें और गुणात्मक फर्क आए तो आप और पीछे चले गए।
सुधाकर सिंह ने कहा कि आज बिहार के किसानों की आमदनी पंजाब के किसानों की आमदनी से चार गुणा कम है। हमारा एमएसपी पर खरीद नहीं है। जो खरीद है, उसमें भी आंकड़े की हेराफेरी है। आप मंडी कानून की बात नहीं कर रहे हैं। मंडी कानून नहीं होने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिला। जब खेती घाटे का सौदा हो जाएगी तो इसमें लगे हुए लोग क्या करेंगे। वह तो पलायन ही करेंगे। राज्यपाल महोदय ने मेरी बात को सत्यापित किया। कृषि को लेकर जो भी बातें कही, उसे महामहिम ने सत्यापित किया है। जो वह कह रहे, इससे ज्यादा मैं कह चुके हैं। आप किसानों से बात कीजिए, तब वास्तविकता का अंदाजा लग जाएगा।