पटना। बिहार के 14 लाख मतदाताओं के पास मतदाता पहचान पत्र (इपिक) नहीं है। ऐसे मतदाता वैकल्पिक दस्तावेजों पर ही मतदान कर सकेंगे। जिन मतदाताओं के पास इपिक नहीं है उनमें से 46 प्रतिशत मतदाताओं को जानकारी का अभाव है कि इसको फिर से कैसे प्राप्त किया जा सकता है। रिपोर्ट में जिनके पास इपिक नहीं है उसमें 16.2 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनका इपिक खो चुका है, जबकि 7.6 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनको इपिक ही नहीं मिला है। किसी भी मतदाता को मतदान के लिए उसका नाम मतदाता सूची में शामिल होना अनिवार्य है। इसके बाद मतदाता को मतदान के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी पहचान पत्र (इपिक) आवश्यक प्रमाण है।
इन दोनों के अभाव में कोई भी मतदाता मतदान नहीं कर सकता है। हालांकि, मतदाता सूची 2024 के अनुसार शत प्रतिशत मतदाताओं का इपिक तैयार है। हाल ही में मतदाताओं से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मतदाता संबंधी ज्ञान, दृष्टिकोण व व्यवहार (केएपी) की बेसलाइन सर्वे रिपोर्ट जारी की गई है।
लोकसभा चुनाव को लेकर जब मतदाताओं से मतदाता सूची के बारे में पूछा गया तो 95.3 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनको इसकी जानकारी है, जबकि 3.3 प्रतिशत मतदाताओं को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा मतदाता सूची में नाम सम्मिलित नहीं कराने वालों से पूछा गया तो राज्य के 86.4 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि जानकारी के अभाव में वह अपना नाम शामिल नहीं कराते हैं। दिलचस्प है कि उनमें से 4.1 प्रतिशत का जवाब था कि उनको मतदाता सूची में नाम सम्मिलित कराने में रुचि नहीं है। साथ ही 3.9 प्रतिशत मतदाताओं का नाम स्थायी निवास नहीं करने के कारण नहीं होता है।
नए मतदाताओं से इपिक को लेकर पूछे गए सवाल में 29.7 प्रतिशत ने बताया कि उनको 15 दिनों के अंदर इपिक प्राप्त हो गया, जबकि 14.3 प्रतिशत ने बताया कि एक माह के अंदर उनको इपिक प्राप्त हुआ है। 15.5 प्रतिशत मतदाताओं ने बताया कि उनको छह माह के अंदर इपिक प्राप्त हुआ है।