पटना। बजट पर चर्चा के दौरान विधान परिषद में तथ्यों के तीर चले तो आंकड़ों के आईने में एक-दूसरे को खूबसूरत-बदसूरत बताने का प्रयास भी खूब हुआ। सोमवार को भोजनावकाश के बाद कार्रवाई में टोका-टाकी से आजिज सभापति को राजद के सुनील सिंह को सदन की मर्यादा व अनुशासन में रहने की हिदायत तक देनी पड़ी। सता पक्ष के साथ नरमी के उलाहने पर आसन ने मुस्कुराते हुए पूछा कि आपको सहयोग नहीं करते क्या! कार्यवाही समापन की ओर बढ़ चली थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में पहुंच गए। सरकार की प्रशंसा में निर्दलीय रामवचन राय तथ्यों-तर्कों से कसीदे काढ़ने लगे। मुख्यमंत्री ने इशारे से सामने की बेंच पर बैठे सुनील सिंह के माथे पर लगे टीके का राज पूछा।
प्रत्युत्तर में सुनील के हाथ अभिवादन में जुड़ गए। राजद के अजय कुमार सिंह की बातें तर्कपूर्ण रहीं। उनका कहना था कि आधारभूत संरचना विकास का एक अवयय है। वह विकास की पूर्ण तस्वीर नहीं। प्रति दिन 90 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान में जा रहे और राज्य में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक कम है। बिहार में बेरोजगारी देश में सबसे अधिक है। बजट आकार में मामूली वृद्धि को सौरभ कुमार ने विकास के लिए अपर्याप्त बताया। उनका कहना था कि आठ प्रतिशत से अधिक लाभ नहीं होने पर बैलेंसशीट भी मान्य नहीं होती। इस बार तो बजट आकार में मात्र छह प्रतिशत की वृद्धि है। योजना मद में खर्च की राशि भी स्थापना व प्रतिबद्ध मद से कम है।
उनका कहना था कि यह तो देह से ज्यादा पोशाक भारी वाली कहावत हो गई। राज्य पर 319075 करोड़ के ऋण के हवाले से सुनील ने तो इसे कर्ज लेकर घी पीने वाला बजट करार दिए। उनका कहना था कि 94 लाख गरीबों को दो-दो लाख रुपये देने के लिए बजट में आवंटन ही नहीं, जबकि सरकार पहले ही इसकी घोषणा कर चुकी है। जदयू के नीरज कुमार ने बजट पुस्तिका दिखाते हुए बताया कि पहले वर्ष ढाई सौ करोड़ का आवंटन है। शिक्षा विभाग को सर्वाधिक आवंटन और नालंदा पर विशेष कृपा की बात मुख्यमंत्री की आलोचना तक पहुंच गई। नीरज नौकरियों के आंकड़े गिनाने लगे। उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी सरकार में 19538 नौकरियां मिलीं, जबकि नीतीश कुमार के कार्यकाल में अकेले पुलिस में 2.14 लाख नौकरी दी जा चुकी है।
महिला बटालियन के गठन वाला बिहार पहला राज्य है। गरीबी उन्मूलन में नंबर वन है। हमारी स्मार्ट मीटर योजना का अनुकरण दूसरे राज्य कर रहे। यहां पांच रुपये महीना पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई जो रही। राजगी, नालंदा और वाल्मीकिनगर तो बिहार के धरोहर हैं। इन्हीं के बूते पर्यटन में पुरस्कार मिल रहा। शिक्षा मंत्री रहते डा. चंद्रशेखर को मौन कर देने और बाद में उनका विभाग बदल दिए जाने की बात उठाकर विपक्ष की मंशा सरकार को घेरने की थी। नीरज ने स्पष्ट कहा, हमारे धार्मिक-पौराणिक मामलों पर गलत बोलने की अनुमति किसी को भी नहीं दी जा सकती। किसी मंत्री ने ऐसा किया तो वे यूं ही नहीं छोड़ दिए जाएंगे। राजद के सतीश दास ने कहा कि इस बार का बजट अनोखा है। हम नया कुर्ता नहीं बदले, तबतक सरकार बदल गई।
यह बजट गरीबों को और अधिक गरीब बनाने वाला बजट है। उन्होंने बजट में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि नहीं करने का आरोप लगाया। दास ने कहा कि आज भी अनुसूचित जाति के मंदिर जाने पर उसे धोया जाता है। अनुसूचित जाति के छात्रावासों में ऐसा भोजन दिया जाता है, जिसे जानवर भी खाना पसंद न करें। उन्होंने कहा कि राजद के सरकार से हटते ही स्थाई पदों को आउटसोर्सिंग के जरिए भरा जाने लगे। राजद विधायक ने आउटसोर्सिंग में भी आरक्षण की मांग की। कांग्रेस के संतोष मिश्रा ने कहा कि सालाना बजट के आकार में सिर्फ छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बजट में नई योजनाओं के लिए धन नहीं है। अधिक व्यय स्थापना मद में किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास विकास की दृष्टि नहीं है। राज्य की जनता को यह बजट स्वीकार्य नहीं है।