सासाराम : बिहार के रहने वाले 27 साल के आकाशदीप के पिता को उनका क्रिकेट खेलना ज्यादा पसंद नहीं था। पिता से सपोर्ट न मिलने पर वह नौकरी खोजने के बहाने दुर्गापुर चले गए। लेकिन क्रिकेट का सपना कभी आँखों से ओझल नहीं होने दिया। उनके खेलने की ललक को उनके एक चाचा ने पहचाना।
उन्होंने खेलना शुरू ही किया था कि उनके पिता और कुछ ही महीनों में बड़े भाई दोनों का निधन हो गया। इस स्थिति ने आकाश के परिवार में एक बड़ा संकट पैदा कर दिया, घर में पैसे भी नहीं थे।
अपनी मां की देखभाल के लिए आकाश को तीन साल के लिए क्रिकेट खेलना बंद करना पड़ा और घर चलाने के लिए नौकरी भी करनी पड़ी। लेकिन एक समय पर आकाश ने अपनी दशा बदलने के लिए जीवन की दिशा बदलने का फैसला किया और क्रिकेट खेलना फिर से शुरू किया।
अपनी कड़ी मेहनत से वह आईपीएल तक अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। लेकिन टीम इंडिया का सपना पूरा होता इससे पहले पीठ में चोट लग गई, सबने कहा अब क्रिकेट खेलना मुश्किल है। आकाश ने फिर एक बार फाइटर की तरह इन सारी मुश्किलों को हराया और आखिर बन ही गए टीम इंडिया का हिस्सा।
सच, पूरी लगन से लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करें तो सफलता मिलती है, आकाशदीप की कहानी इसका सच्चा उदाहरण है।
टीम इंडिया के इस हीरो क्रिकेटर की कहानी से अगर आपको भी प्रेरणा मिली, तो हमें कमेंट में जरूर बताएं।