पटना। चालीस दिनों से पैसे-पैसे के मोहताज हो चुके राज्य के विश्वविद्यालयों ने एकसाथ मिलकर शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षा विभाग की मनमानी के विरुद्ध विश्वविद्यालयों ने संयुक्त रूप से आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। इसकी शुरूआत करते हुए विश्वविद्यालयों ने सभी बैंक खातों के संचालन पर शिक्षा विभाग की ओर से लगायी गयी रोक को हटाने के लिए पटना उच्च न्यायालय में अलग-अलग रिट याचिका दायर करना शुरू कर दिया है। सबसे पहले मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने याचिका दायर कर राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, निदेशक और उपनिदेशक काे वादी बनाया है।साथ ही, सभी खातों के संचालन पर लगी रोक को हटाने की गुहार न्यायालय से लगायी है।
इस संबंध में मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. समीर कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा बैंक खातों पर लगायी गई रोक से शिक्षकों और कर्मचारियों को न वेतन दे रहे हैं और न ही पेंशनधारकों को राशि भुगतान कर पा रहे हैं। सैकड़ों पेंधनधारी अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं। उन लोगों के लगातार फोन आ रहे हैं, लेकिन हम लाचार हैं। पैसे की निकासी नहीं होने से विश्वविद्यालयों में सभी वित्तीय कामकाज ठप पड़ गया है। तमाम प्रशासनिक, शैक्षणिक और परीक्षा से संबंधित अन्य कार्य नहीं हो रहे हैं।
यहां तक कि बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 में विश्वविद्यालयों द्वारा न जीएसटी सरकार को चुकाया गया है और न ही आयकर रिटर्न भरा गया है। इसके कारण सभी विश्वविद्यालयों पर पेनाल्टी लगना तय है। ऐसे में बाध्य होकर हमें पटना उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करनी पड़ी है। हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है कि शिक्षकों, कर्मियों और पेंशनधारियों के हित में जल्द न्याय मिलेगा।
सभी खातों पर लगी रोक को हटाने को लेकर जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलसचिव प्रो.(डा.) रणजीत कुमार ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर आगाह किया है। उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक डा.रेखा कुमारी को लिखे पत्र में विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालन, कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक एवं वित्त अधिकारी के वेतन निकासी पर लगी रोक संबंधी आदेश को निरस्त करने की मांग की है। कुलसचिव ने कहा है कि राज्यपाल व कुलाधिपति के निर्देश पर बैठक में सम्मिलित नहीं होने पर वेतन स्थगित करने, अंकेक्षक दल भेजकर डराना-धमकाना व प्राथमिकी दर्ज कराने का एकपक्षीय आदेश निर्गत करना पूरी तरह से अवैध है।
विश्वविद्यालय अधिनियम व परिनियम की मनमानी व्याख्या कर पद व शक्ति के दुरूपयोग का भी मामला है। इसलिए शिक्षा विभाग द्वारा वेतन रोकने व खाताें के संचालन पर रोक संबंधी आदेश पूर्णतः अस्वीकार्य है। खाता संचालन पर रोक की वजह से परीक्षा व शैक्षणिक संबंधी कार्य बाधित हो गया है। शिक्षकों, कर्मचारियों व पेंशनधारियों को होली और ईद जैसे पर्व पर भी वेतन नहीं दिया गया है। आयकर की कटौती नहीं होने से आयकर विभाग द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन पर अर्थदंड अधिरोपित किया जाना तय है। काम कराकर वेतन नहीं देना जीवन यापन के मूलभूत अधिकार का भी उल्लंघन है।