पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के वर्गीकरण और उसमें क्रीमी लेयर का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आज भी वंचितों के साथ न्याय नहीं हो रहा है। छुआछूत जैसी महामारी को बांटने के लिए यह कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा कि वंचित आदिवासी में क्रीमी लेयर का मामला हो ही नहीं सकता है। इसके साथ ही उन्होंने आरक्षण संशोधन को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने और बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। भाजपा और जदयू आरक्षण विरोधी है। नेता प्रतिपक्ष शुक्रवार को पटना में प्रेस प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। इस दौरान एनडीए की सरकार पर तेजस्वी यादव ने जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस वक्त राज्य में महागठबंधन की सरकार थी।
उस वक्त आरक्षण के दायरे को बढ़ाया गया और इसकी सीमा 65% तक की गई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसके बाद राज्य मंत्री परिषद के सहमति से आरक्षण संशोधन को नवमी अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया, लेकिन गुरुवार को मनोज झा द्वारा राज्यसभा में उठाए गए एक प्रश्न में सरकार ने इसे अपना पल्ला झाड़ा और झूठ कहा कि संविधान की नौवीं अनुसूची का मामला राज्य सरकार का है केंद्र कहा केंद्र सरकार सालासर झूठ बोल रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे इस मसले पर मौन नहीं रहेंगे। आरक्षण संशोधन को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कंपटीशन दायर करेंगे। साथ ही जनता के बीच भी जाएंगे। तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से असहमति जतायी और कहा कि हम लोग इसके पक्ष में नहीं हैं।
आर्थिक समानता दिलानी हैं तो सबको नौकरी दे।बिहार में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का नया कानून फिलहाल लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाई कोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के कानून को रद कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इनकार का मतलब यह हुआ है कि बिहार में होने वाली भर्तियों में फिलहाल नया आरक्षण कानून लागू नहीं होगा।