नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हड़ताल का असर सुबह से ही देखने को मिल रहा है। हड़ताल के कारण छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों इलाज के अभाव में रोते बिलखते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर के हड़ताल का असर मरीज के वार्डों में भी देखा जा रहा है कई मरीज इलाज के अभाव में वार्ड में तड़प रहे हैं वहीं डॉक्टर के नहीं रहने से कई मरीज अस्पताल छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे हैं। कमोबेश यह स्थिति राजधानी पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना मेडिकल कॉलेज अस्पतला नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के परिसर में देखने को मिल रहा है। पटना सिटी से इलाज कराने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची शीला देवी ने बताया कि जब वह पूर्जा कटाकर डॉक्टर को दिखाने गई तो उन्हें तीसरे तल्ले पर जाने का आदेश दिया गया
जब वे तीसरे तल्ले पर पहुंची तो बताया गया कि अभी डॉक्टर लोग हड़ताल पर हैं। आप प्राइवेट में इलाज करने के लिए चले जाएं। शीला देवी ने बताया कि उनकी बच्ची बीमार है और उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वह प्राइवेट में इलाज कर सके। डॉक्टरों के हड़ताल के कारण मरीज और तीमारदारों का हाल बेहाल है। पैसे नहीं होने के कारण वह प्राइवेट अस्पताल में भी नहीं जा सकते हैं। लोग अब बिहार सरकार से गुहार लगा रहे हैं। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में दुष्कर्म के बाद हुई डॉक्टर की हत्या के विरोध में पटना के सरकारी अस्पतालों हड़ताल जारी है। जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन इसमें शामिल हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पहल आज देशव्यापी हड़ताल पर है। इसका असर बिहार के लगभग सभी सरकारी अस्पताल में देखने को मिल रहा है। इधर, इमरजेंसी और ओपीडी सेवा बाधित होने के कारण मरीज और तीमारदारों में आक्रोश है। शुक्रवार को तो आईजीआईएमएस में ओपीडी सेवा बंद से होने नाराज मरीज और उनके परिजन सड़क पर आ गए और परिजनों ने बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। परिजनों ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और आईजीआईएमएस प्रशासन को इसके लिए जमकर कोसा है।