पटना। अन्नदाता अब बनेंगे ऊर्जा प्रदाता। किसानों को ऊर्जा प्रदाता बनाने की कवायद के तहत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली 27 कंपनियों ने दिलचस्पी ली है। इस योजना के माध्यम से किसानों के लिए बने एग्रीकल्चर फीडर को बिजली उपलब्ध करायी जाएगी। सोलर पावर प्लांट लगाने की यह योजना मुख्य रूप से किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य है। बिजली कंपनी ने यह निविदा निकाली थी कि जो किसान अपनी जमीन पर सोलर ऊर्जा प्लांट लगाना चाहते हैं वह इसके लिए निविदा करें। जमीन उनकी रहेगी और निविदा के माध्यम से सोलर पावर प्लांट लगाने वाली कंपनी भी तय होगी। इसके माध्यम से किसानों और सोलर पावर प्लांट लगाने वाली कंपनी के बीच करार होगा। करार के तहत किसानों को जमीन देने के एवज में राशि तो मिलेगी ही इसके साथ ही अन्य लाभ भी होंगे। सोलर पावर प्लांट ग्रिड कनेक्टेड होगा।
यानी संबंधित एग्रीकल्चर फीडर द्वारा उपयोग के बाद की बिजली का उपयोग बिजली कंपनी कर लेगी और उसकी जो राशि मिलेगी उसमें किसानों का भी एक हिस्सा होगा। बिजली कंपनी ने 1.60 लाख पंप के लिए निविदा की थी। एक एग्रीकल्चर फीडर में आम तौर पर 10 से 15 पंप रहते हैं। सौर ऊर्जा कंपनियों को इस योजना का फायदा यह है कि उन्हें एक मेगावाट की इकाई पर 1.05 करोड़ रुपए की सब्सिडी केंद्र से तथा 45 लाख रुपए की सब्सिडी राज्य सरकार से मिलनी है। एक मेगावाट की इकाई स्थापित करने की लागत लगभग पांच करोड़ रुपए है। बिजली कंपनी के संबंधित अधिकारी ने बताया कि निविदा खुलने के बाद किसान और सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने आयी कंपनी के बीच करार होगा।
संबंधित कंपनी द्वारा किस दर पर प्रति यूनिट बिजली उपलब्ध करायी जाएगी इस बारे में एक प्रस्ताव बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग को जाएगा। आयोग के स्तर पर ही दर तय किया जाएगा। इस योजना के तहत यह व्यवस्था की गयी है कि सोलर ऊर्जा उत्पादन इकाई को एग्रीकल्चर फीडर के समीप ही लगाया जाएगा। विद्युत उपकेंद्र से भी बहुत अधिक दूरी नहीं होगी। किसानों को यह फायदा होगा कि उन्हें स्थायी तौर पर सिंचाई के लिए अलग सिस्टम से बिजली उपलब्ध हो सकेगा।