आरा: बिहार एसटीएफ की टीम ने पटना और भोजपुर जिले के कांडों में मोस्ट वांटेड एक इनामी अपराधी रंजीत चौधरी को शुक्रवार की देर रात गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। इनामी की गिरफ्तारी उत्तराखंड के ऋषिकेश के एक होटल से होने की सूचना है। पकड़ा गया इनामी भोजपुर जिले के उदवंतनगर थाना क्षेत्र के बेलाउर गांव का मूल निवासी हैं।अपराधिक इतिहास को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से उस पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ था। बिहार के टाप-10 अपराधियों में गिनती होती है। इधर, बिहार पुलिस ने फेसबुक पर मैसेज पोस्ट कर बिहार एसटीएफ और उत्तराखंड पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तारी की पुष्टि की है। एसटीएफ की टीम तकनीकी सूत्र के आधार पर उत्तराखंड गई थी। इस दौरान ऋषिकेश के होटल से दबोचा गया। बाद में वहां हल्ला हो गया कि किसी का होटल से अपहरण हुआ है तो लोकल पुलिस वहां की पहुंची थी। बाद में बिहार एसटीएफ की टीम गिरफ्तार अपराधी को लेकर पटना के लिए रवाना हो गई थी।
पटना पुलिस को संभवतः पटना के रानीतलाब थाना क्षेत्र में नौ महीने पूर्व घटित बालू कारोबारी देवराज राय की हत्या समेत अन्य कांडों में तलाश थी। भोजपुर के चांदी थाना क्षेत्र के खनगांव क्षेत्र में घटित बालू कारोबारी हर्ष सिंह की हत्या में भी नाम आया था। दोनों ओर से केस हुआ था। मालूम हो कि छह नवंबर 2023 को पटना जिला के रानीतालाब थाना क्षेत्र के निसरपुरा गांव के रहने वाले बालू ठेकेदार देवराज की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस संबंध में रानीतालाब केस हुआ था। इधर, आरा कोर्ट के पास केस के एक गवाह गोपाल राय पर हुए जानलू हमले में भी नाम आया था। इधर पकड़ें गए रंजीत चौधरी ने गिरफ्तारी से पहले एक वीडियो जारी कर अपने को बेगुनाह बताया था। इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो में उसने पाली डीएसपी,आईओ और थानाध्यक्ष पर देवराज हत्याकांड में फंसाए जाने का आरोप लगाया था।
वीडियो में रंजीत का कहना था कि वह घटना के दिन उत्तराखंड में था। उस दिन शापिंग के समय आनलाइन पेमेंट भी विया था। बावजूद उसका नाम इस हत्याकांड में घसीटा जा रहा है। किसी के कहने पर किसी को फंसाना गलत है। वह भी कहता है कि डीएसपी के कहने पर ही उसने हत्या की थी। मूल रूप से भोजपुर जिले के बेलाउर गांव निवासी रंजीत चौधरी की गांव से ही शुरू आपसी गैंगवार से अपराध की दुनिया में इंट्री हुई थी। पहले बुटन चौधरी और रंजीत चौधरी एक ही थे। बाद में वर्चस्व को लेकर दोनों गुटों में ठन गई थी। इस दौरान दोनों गुटों के बीच गांव में चली अदावत में दर्जन भर से अधिक लोग मारे गए थे। इस दौरान रंजीत का संपर्क पटना के भी अपराधियों से हो गया था। देखते ही देखते रंजीत की गिनती बिहार के टाप अपराधियों में होने लगी।