पटना। स्मार्ट मीटर से ज्यादा बिल नहीं आता। यदि किसी उपभोक्ता को संशय है तो वे पुराना और स्मार्ट दोनों मीटर एक साथ लगवाकर इसकी जांच करा सकते हैं। सच्चाई यह है कि यह पहले से अधिक उपभोक्ता हित में और पारदर्शी है। किसी तरह की भ्रांति में नहीं पड़ें। डीएम डा. चंद्रशेखर सिंह ने गुरुवार को यह कहा। वे समाहरणालय में कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक के बाद प्रेस से मुखातिब थे। बिजली अभियंताओं ने भी इस क्रम में कई बिंदुओं पर अपनी बातें रखीं। डीएम ने कहा कि पहले वाले मीटर में बिल की शिकायत ज्यादा आती थी। बिल को सुधरवाने के लिए काफी चक्कर लगाने पड़ते थे। मीटर रीडिंग मैनुअल होते थे। उसमें कई तरह की समस्याएं आती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। उपभोक्ता अपना उपभोग प्रतिदिन देख सकते हैं। स्मार्ट मीटर पूरी तरह टेस्टेड होते हैं। पटना में तीन लैब में इनकी जांच होती है। दो साल में 534 उपभोक्ताओं ने मीटर तेज करने की शिकायत की। मीटर की जांच कराई गई तो कोई गड़बड़ी नहीं मिली। पटना में करीब 12 लाख उपभोक्ता हैं, उनमें से 7.25 लाख के घर में स्मार्ट मीटर लगाया जा चुका है। शेष बचे घरों में भी तेजी से इसे लगाया जा रहा है।
जिले के 1,244 सरकारी कार्यालयों में 783 में यह मीटर लग चुका है। शेष में इसी माह तक स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्र के कार्यालयों में तत्काल दोनों मीटर रखे जाएंगे, उससे जनप्रतिनिधियों व आमजन को दिखाया जाएगा कि दोनों में बिल का कोई अंतर नहीं। स्मार्ट मीटर लगाए जाने के बाद यदि लोड बढ़ता है तो छह माह तक पेनाल्टी नहीं लगेगी। बताया गया कि वैलिडिटी खत्म होने की सूचना एक सप्ताह पहले से दी जाएगी। पूरी तरह निगेटिव हो जाने पर भी 24 घंटे तक बिजली नहीं कटेगी। यदि कोई इस अवधि में भी रिचार्ज नहीं करा पाते हैं तो उनके लिए मीटर में पुश बटन की सुविधा दी जा रही है। इस बटन को 20 सेकंड तक दबाने पर तीन दिनों तक के लिए बिजली मिल जाएगी। उपभोक्ता घर बैठे रिचार्ज, लोड बढ़ाने के साथ शिकायत भी कर सकते हैं। निगेटिव बैलेंस की स्थिति में दिन के 10 से दो बजे के बीच ही बिजली कटेगी। उपभोक्ताओं को बिजली काटने के नाम पर साइबर फ्राड मोबाइल नंबर से काल करते हैं, जबकि विभाग की ओर से एसएमएस भेजा जाता तो वह एसबीपीडीसीएल के नाम से रहता है। यदि काल जाता है तो उसका नंबर 33 से शुरू होगा। इसलिए अन्य किसी नंबर से काल जाए तो उसपर ध्यान नहीं दें। अमूमन यूपीआइ से बिल भुगतान करने वाले का डाटा वे एकत्र कर काल करते हैं।