पटना: बिहार की नीतीश कुमार सरकार को विश्वास मत हासिल करने से रोकने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग की गई थी। सत्ताधारी दल के विधायकों को हवाला के जरिए एडवांस पैसे भेजे गए थे। अगर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार विश्वास मत हासिल करने में हार जाती तो विधायकों को मोटी रकम अदा की जाती। यह खुलासा आर्थिक अपराध इकाई की जांच में हुआ है। पटना के कोतवाली थाने में दर्ज एक एफआईआर की जांच के दौरान आर्थिक अपराध इकाई को हैरान करने वाले सबूत मिले हैं। EOU ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी है। हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़े इस केस की तफ्तीश अब प्रवर्तन निदेशालय करेगी। अब तक की जांच में यह खुलासा भी हुआ है कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों को हवाला के जरिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ ही नेपाल से भी पैसे भेजे जा रहे थे। आर्थिक अपराध इकाई ने अवैध लेनदेन से जुड़े साक्ष्य भी ईडी को सौंप दिए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जनादेश मिला था, लेकिन बीच में वह महागठबंधन के साथ चले गए थे। दिसंबर में जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की विदाई के बाद बिहार कर राजनीतिक माहौल अचानक बदला और 28 जनवरी को उलटफेर फिर हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के सीएम पद से इस्तीफा दिया और कुछ घंटे बाद भारतीय जनता पार्टी का समर्थन पत्र लेकर वापस राजग सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस सरकार का गठन हो गया और 12 फरवरी को विश्वास मत, यानी फ्लोर टेस्ट की तारीख दी गई। इस दौरान ही यह सारी डील हुई, ताकि सरकार फ्लोर टेस्ट में पिछड़ जाए।