करगहर। करगहर स्थित गारा चौबे नहर फिलहाल ग्राम वासियों के लिए कूड़ादान बन चुका है। पूरे गांव व बाजार का कचरा उक्त नहर में फेंका जा रहा है जिससे नहर में कचरा की सड़ांध से चारों तरफ दुर्गंध फैल रही है। नहर में कचरे का अंबार लगने से मच्छरों तथा अनेक बीमारियों को जन्म देने वाले विषाणु का भरमार हो गया है। नहर से निकल रही दुर्गंध से नहर के किनारे बसे लोगों व बाजार आने जाने वालों को जीना हराम हो गया है। इतना ही नहीं उससे निकलने वाली बदबू से नहर के पास से गुजरने वालों को नाक मुंह बंद करके गुजरना पड़ता है। यही हाल इस नहर के किनारे बसे हर गांव की है। कूड़े कचरे की सड़ांध बदबू से कई तरह की बीमारियां फैलने की प्रबल आशंका बनी हुई है. अगर समय रहते जिला प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन तथा सिंचाई विभाग द्वारा कूड़ा कचरा फेंकने पर रोक नहीं लगाई गई तो निश्चित ही उक्त नहर के किनारे बसे गांव के लोग डायरिया तथा अज्ञात बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं और वह बीमारी निकट भविष्य में विकराल रूप ले सकती है।
साथ ही नहर में पानी का बहाव अवरूद्ध हो सकता है जिससे सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी, जिससे भविष्य में सिंचाई के लिए खेतों तक पानी नहीं पहुंचने से खरीफ तथा रबी की फसल मारी जाएगी और किसानो को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। जहां बिहार सरकार के सिंचाई विभाग द्वारा नहर सफाई के लिए करोड़ों रुपए की राशि प्रत्येक वर्ष खर्च की जाती है फिर भी जिला प्रशासन तथा स्थानीय प्रशासन वो सिंचाई विभाग मूकदर्शक व लापारवाह बना हुआ है। सिंचाई विभाग की उदासीनता के कारण ही पुरा नहर कूड़े कचरे से भरा हुआ है और नहर में कूड़ा फेंकने पर सिंचाई विभाग और प्रशासन द्वारा वक्त रहते रोक नहीं लगाई गई तो निश्चित ही एक दिन नहर का वजूद ही समाप्त हो जाएगा और नहर की सफाई के लिए करोड़ों रुपए की राशि खर्च करनी पड़ सकती है। लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि हर वर्ष नहर सफाई के लिए सरकार द्वारा राशि आवंटित की जाती है लेकिन बगैर नहर की सफाई कराये ही कागज पर ही सफाई दिखाकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के द्वारा पैसे की निकासी कर हजम कर ली जाती है।