सासाराम। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न रोकने हेतु उत्पीड़न निवारण/ प्रतिशोध एवं प्रतितोश अधिनियम 2013 के अंतर्गत शिकायत निवारण समितियों का गठन को लेकर शुक्रवार को सासाराम समाहरणालय स्थित डीआरडीए सभागार में अपर समाहर्ता रोहतास सह अपर जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक किया गया। बता दें कि समान प्रशासन विभाग बिहार पटना के आलोक में महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न रोकने को लेकर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के अंतर्गत शिकायत निवारण समितियों का गठन किया जाना है। इसको लेकर अर्धसरकारी/ गैर सरकारी/ निगम/ निकाय /विश्वविद्यालय एवं अन्य कार्य स्थल जहां पर 10 से कम कर्मचारी कार्यरत हैं वहां लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए जिला परिषद अध्यक्ष पूनम भारती की अध्यक्षता में स्थानीय शिकायत समिति का गठन किया गया, जिसके जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) रश्मि रंजन पदेन सदस्य तथा सुषमा कुमारी बाल विकास योजना पदाधिकारी सासाराम, आरफीन तरन्नुम, केंद्र प्रशासक वन स्टाफ सेंटर तथा भानु प्रताप सिंह अंशकालीन अधिवक्ता सदस्य होंगे। स्थानीय शिकायत समिति के साथ-साथ ऐसे कार्य स्थल जहां कर्मियों की संख्या 10 से कम है वहां आंतरिक शिकायत समिति का भी गठन किया जाना है। रोहतास समाहरणालय में लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए नेहा कुमारी (वरीय उप समाहर्ता) अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया जिसके सदस्य रश्मि कुमारी (बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, शिवसागर) तथा आफरीन तरन्नुम केंद्र प्रशासक वन स्टॉप सेंटर सासाराम, नैंसी श्रीवास्तव लिपिक जिला अधीक्षक कार्यालय सासाराम और अशोक कुमार सिंह अंशकालीन अधिवक्ता को सदस्य बनाया गया है।
चयनित दोनों समितियों पर एक तय सीमा के अंदर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कई जिम्मेदारियाँ सौंपी गई है जिसमें समिति दीवानी- श्रमिक और प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत शिकायत की सुनवाई करेगी और उसे निपटाएँगी। शिकायतकर्ता के अनुरोध पर दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाने के लिए कदम उठाएंगी। साथ ही साथ समझौता सुला ना होने पर जांच की शुरुआत करेंगी। इसके अलावा शिकायत की सुनवाई के दौरान मामले की जांच के लिए गवाहों को बुला सकती हैं। दस्तावेजों को पेश करने के लिए कह सकती हैं। इसी तरह पीड़िता और प्रतिवादी को सुनवाई में मौजूद रहने के लिए कह सकती हैं। शिकायतकर्ता की जांच 90 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए। समिति जांच करने के बाद 10 दिन के अंदर इसकी रिपोर्ट नियोक्ता(मालिक) जिलाधिकारी के पास जमा कराएंगी। नियोक्ता (मालिक) जिलाधिकारी को मामले में उचित करवाई करने के लिए भी दे सकती हैं। समिति जिलाधिकारी के पास वार्षिक रिपोर्ट जमा करेंगी, जिसमें यौन उत्पीड़न के केस की संख्या, निपटाए गए मामलों की संख्या, जिन्हें अभी निपटाना है ऐसे मामलों की संख्या, यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए चलाई गई कार्यशालाओं की संख्या का जिक्र होगा। साथ ही इसमें किसी भी मामले में नियोक्ता (मालिक) या जिलाधिकारी की किसी करवाई का उल्लेख किया जाना चाहिए।