सासाराम। जिले के चेनारी प्रखंड के मीजल्स (खसरा) संक्रमित क्षेत्र में शुक्रवार को सभी घरों का सर्वे किया गया तथा मीजल्स प्रकोप प्रतिक्रिया टीकाकरण हेतु रणनीति बनाई गई। कुल 112 घरों का सर्वे किया गया तथा कुल 42 बच्चों को टीकाकरण हेतु लक्षित किया गया है। खसरा संक्रमित बच्चे को इलाज स्वरूप विटामिन ए का घोल पिलाया गया।। वहीं 10 वर्षीय बच्चे में मीजल्स का संक्रमण की शंका थी जिसका रक्त जांच डबल्यू एच ओ द्वारा अधिकृत लैब में नमूना भेजा गया था जिसका परिणाम पॉजिटिव पाया गया। उक्त प्रखंड में ज़िला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आर के पी साहू एवं एस एम सी यूनिसेफ असजद इकबाल सागर के नेतृत्व में प्रखंड के प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक धर्मेंद्र कुमार, बी एम सी (यूनिसेफ) धीरज कुमार, एफ एम उदय कुमार(डबल्यू एच ओ) सहित आशा , ए एन एम और सेविकाओं के साथ बैठक कर समुदाय एवं परिवार से संवाद कर उचित सुझाव दिया गया एवं खसरा बीमारी से संबंधित गंभीरता एवं इसके इलाज और बचाव से लोगों को ज़िला प्रतिरक्षण पदाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया। साथ ही साथ टीकाकरण के महत्व पर समुदाय को जागरूक करने का कार्य किया गया।
एस एम सी यूनिसेफ असजद इकबाल सागर ने बताया की हमारे समाज में खसरा बीमारी को लेकर एक पारंपरिक रूप से धारणाएं चली आ रही है जिस कारण समुदाय के लोग इस बीमारी में इलाज नहीं करवाते है, जिससे विभाग को इस बीमारी की निगरानी करने में परेशानियां होती है। भारत सरकार का लक्ष्य है की इस वर्ष हम लोग खसरा और रुबेला जैसी भयावह बीमारी को खत्म कर दें। परंतु इस कार्य के लिए समाज को आगे आने की जरूरत है और जैसे ही बुखार के साथ शरीर में लाल दाना हो तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाए अथवा अपने गांव की आशा को सूचित करे ताकि सम्पूर्ण इलाज ससमय किया जा सके। वही डीआईओ आरकेपी साहू ने बताया कि खसरा का बचाव का तरीका एक मात्र टीकाकरण है। बच्चे को 9 से 12 माह में खसरा रुबेला का पहला डोज दिया जाता है तथा दूसरा डोज 16 से 24 माह में दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अभी जिले में जितने भी खसरा रुबेला के संक्रमित मरीज मिले हैं उनमें बच्चों की संख्या अधिक पाई गई जिसका मुख्य कारण टीकाकरण नही करवाना है। जो बच्चे टीका लेते हैं उनमें रोग होने की संभावना नग्न हो जाती है।