शिवसागर: प्रखंड क्षेत्र में रोहिणी नक्षत्र में किसान धान का बिचड़ा डालने में जुट गए हैं। कुछ किसानों ने खेतों में धान का बिचड़ा डाल दिया है तो कुछ किसान धान का बीज डालने के लिए तैयारी कर रहे हैं। किसानों के माने तो धान का बिचड़ा डालने के लिए रोहिणी नक्षत्र को उत्तम माना गया है। 25 मई को रोहिणी नक्षत्र के आगमन होते ही किसान खरीफ फसल बोने की तैयारी में जुट गए हैं। रोहिणी नक्षत्र के आगमन के बाद भी हाल के दिनों में बारिश नहीं होने के कारण खेतों में नमी की कमी है। इसके बावजूद भी किसान बिचड़ा बोने के लिए खेतों की जुताई में जुट चुके हैं। इधर विभाग ने भी खरीफ फसल को बेहतर बनाने के लिए कमर कस लिया है। किसान बताते हैं कि किसानी कार्यों के लिए रोहिणी नक्षत्र किसी उत्सव से कम नहीं होता है। 15 दिनों का यह समय धान फसल लगाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। लेकिन बारिश ना होने की वजह से किसानों को धान बिचड़ा डालने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि विभाग द्वारा नहरों में पानी छोड़ने से किसान ने राहत की सांस ली है। वही किसानों द्वारा भूमि पूजन कर खेती-बाड़ी का काम शुरू कर दिया गया है। पहले खेत की जुताई कर उनसे खर-पतवार को चुना जाएगा। फिर धान का बिचड़ा उसमें डाला जाएगा।
हालांकि खेतों में नमी की कमी है। यदि बारिश नहीं हुई तो पहले सिंचाई कर खर-पतवार नाशक दवा का छिड़काव कर खेत को तैयार कर बिचड़ा बोया जाएगा। नाहर और टूल पम्प के मदद से प्रखंड में लगभग 70% किसानों ने बिचड़ा डाल दिया है। जबकि कुछ किसान पानी की समस्या के कारण बीज नहीं डाल पा रहे हैं।किसान दिवाकर सिंह ने बताया कि अगर मौसम साथ दिया तो समय से बारिश हुई व नहरों में पानी आ गया तो धान की रोपनी समय पर हो जाती है। पैदावार भी बंपर होता है। उन्होंने बताया कि हम लोग पिछले साल रोहिणी नक्षत्र के अंतिम दौर में धान का बीज डाला था। समय से बारिश होने पर रोपनी का कार्य पहले ही निपट गया था। धान का बिचड़ा डालने के लिए सबसे रोहणी नक्षत्र शुभ होता है , इस नक्षत्र में बोए जाने वाले बिचड़ा से धान का पौधा अधिक तेजी से विकास करता है तथा इसमें रोग लगने की संभावना भी कम होती है। रोहिणी नक्षत्र में धान के लगाए गए बिचड़ा से उत्पादन भी अधिक होता है।