- स्वास्थ्य समीक्षा बैठक में प्रभारी जिलाधिकारी ने दिए कई दिशा निर्देश
सासाराम। सासाराम समाहरणालय स्थित डीआरडीए सभागार में सोमवार को प्रभारी जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में हेल्थ रिव्यू बैठक का आयोजन किया गया जिसमें जिले के सभी प्रखंडों के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम, यूनिसेफ के एसएमसी, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस डीपीओ, सीडीपीओ , सीएस, एसीएमओ, डीआईओ मौजूद रहें बैठक में आगामी 16 जून से जिले में आयोजित होने वाले सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के कॉर्डिनेशन कमिटी की बैठक की गई जिसमें कार्यक्रम में होने वाली गतिविधियों की जानकारी ली गई। बैठक में डीपीसी संजीव मधुकर ने बताया कि इसमें 16 जून से शुरू सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा में 2 महीने से 5 वर्ष वाले बच्चो को ORS और जिंक की ख़ुराक उपलब्ध कराई जाय गई। साथ ही साथ बच्चो के अविभावकों को दस्त के लक्षण और नियंत्रण को लेकर जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 2 माह से 6 माह के बच्चों को आधा टैबलेट और 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को 1 टैबलेट जिंक की गोली खिलाना है। वही सिविल सर्जन द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी एमओआईसी को निर्देश दिया गया। वही यूनिसेफ के एसएमसी असजद इकबाल सागर ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रचार प्रसार के बारे में जानकारी दिया। जिला स्वास्थ्य समिति के जिला अनुश्रवण एवं मूलयांकन पदाधिकारी अमित द्वारा पीपीटी के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम की समीक्षा की गई। अमित कुमार ने जिलापदाधिकारी को बताया कि कुल 12 बिंदुओं के आधार पर जिले के 19 प्रखंडों की रैंकिंग तैयार की गई है ।
रैंकिंग में नीचे रहने वाले प्रखंडों में होगी कार्रवाई
जिले की तैयार रैंकिंग को देखते हुए जिला पदाधिकारी ने कहा कई सभी बिंदुओं पर सभी प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा की लगातार 3 महीने तक नीचे से 3 रैंकिंग वाले प्रखंडों पर करवाई की जाएगी। जिलापदाधिकारी ने निदेश दिया कि जिले में संस्थागत प्रसव में सुधार हेतु आशा औए एएनएम की मॉनिटरिंग की जाय और इसके लिए एक ऐप का सहारा लिया जाये। सभी आशा कर्मियों को निदेश दिया जाय कि जो आशा 4th एएनसी के लिए गर्भवती माताओं को संस्थान में लाती हैं उनके प्रसव भी संस्थान में ही होनी चाहिए। साथ ही जिलाधिकारी ने 200 से कम ओपीडी करने वाले 27 चिकित्सकों से स्पष्टीकरण पूछने का निदेश दिया। वही डीपीओ आईसीडीएस को निदेश दिया गया कि सभी कमजोर बच्चों को जिले में संचालित एनआरवी में भेजना सुनिश्चित करें।