- गर्भावस्था के दौरान अधिक आराम व सुख सुविधा सिजेरियन ऑपेरशन को दे रहा है बढ़ावा
सासाराम। बढ़ते सुख सुविधाओं और महिलाओं की बदलती जीवन शैली गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। इनकी वजह से गर्भवती महिलाएं दिनचर्या के कार्यों से दूर होती जा रही है और सभी कार्यों को अपने हाथों से करने के वजाय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर ज्यादा निर्भर हो रही है। ऐसे में नार्मल प्रसव के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिस वजह से सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव करवाना पड़ता है। सिजेरियन प्रसव महिलाओं के स्वास्थ्य पर तो असर डालता ही है कभी-कभी यह महिला एवं शिशु के लिए जानलेवा भी साबित होता है। ऐसे में जरूरी है कि सीजेरियन प्रसव से बचने के लिए दिनचर्या के कार्य को करने के लिए आधुनिक युग में मशीनों पर ज्यादा निर्भर ना रहें और शारीरिक कार्य करते रहें जिससे नार्मल प्रसव को बढ़ावा मिल सके। इधर सरकार भी मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने ले लिए कई कार्यक्रमो का आयोजन कर लोगों को जागरूक कर रही है। मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए नार्मल प्रसव को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा। यदि गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान छोटी छोटी बातों पर ध्यान देंगी तो सीजेरियन डिलीवरी से बचा जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण संस्थागत प्रसव में बाधक
सासाराम सदर अस्पताल में कार्यरत प्रसूति विशेषज्ञ डॉ संध्या बताती है कि आधुनिक युग मे महिलाएं प्रैग्नेंसी के दौरान ज्यादा आराम करना पसंद करती है। या घर के लोग भी शारिरिक कार्य करने के लिए मना कर देती है। परंतु पहले के समय मे गर्भावस्था के दौरान भी महिलाएं सभी कार्यों को अपने हाथों से संपादित करती थी। इस वजह से प्रसव के दौरान सामान्य प्रसव जिसे हम नार्मल डिलेवरी बोलते है उसे कराने में कोई समस्या नहीं होती थी। परंतु अब के समय में महिलाएं ज्यादा मशीनरी चीजों पर निर्भर हो गई है। खाना बनाने से लेकर कपड़ा धोने, घर साफ करने तक सभी कार्य मशीनों से हो रहा है। ऐसे में प्रसव के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिस वजह से सिजेरियन ही प्रसव का माध्यम बन जाता है।
नार्मल डिलीवरी के लिए जीवन शैली में लाएं परिवर्तन
डॉ संध्या कहती हैं कि नार्मल डिलीवरी करने और ऑपरेशन से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को अपने जीवन शैली और खान पान में परिवर्तन लाने के साथ साथ ध्यान देने की भी जरूरत है। कभी कभी गलत जानकारी की वजह से मन मे डर पैदा हो जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी संबंधित सही जानकारी लें। इसके लिए सही डॉक्टर का भी चुनाव करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कभी कभी डॉक्टर अपने फायदे के लिए नार्मल डिलीवरी की स्थिति में भी ऑपेरशन करने की सुझाव देने और डराने लगते हैं जिससे महिला एवं ससके शिशु को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सही डॉक्टर का चुनाव करें जो आपकी स्थिति को देखकर सही सलाह दे।
तनाव से रहें दूर और व्यायाम की डाले आदत
डॉ संध्या ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को कम से कम तनाव लेना चाहिए क्यूंकि यह बीमारियों का कारण है। कोशिश करें कि तनाव से बिल्कुल दूर रहें। यह गर्भवती महिला के साथ साथ शिशु के सेहत के लिए भी जरूरी है। तनाव को दूर करने के लिए मेडीटेशन का भी सहारा लिया जा सकता हूं। उन्हने कहा कि प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टरी सलाह पर व्यायाम भी किया जा सकता है जो नार्मल डिलीवरी में भी सहायक होता है। साथ ही साथ अच्छी एवं जरूरत मुताबिक नींद लेना भी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है।
भारी काम से करें परहेज
डॉक्टर संध्या ने कहा कि प्रेगनेंसी के दौरान शरीर को चलाने के लिए हल्के काम करते रहना चाहिए। इस दौरान भारी कार्य को करने से बचना चाहिए जैसे में भारी वजन उठाना, ज्यादा सीढ़ियां चढ़ना आदि। डॉ संध्या ने कहा कि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को पूरी तरह से काम नहीं छोड़ना चाहिए। घर में हल्के-फुल्के काम करते रहना चाहिए। खान पान पर रखें ख्यालगर्भावस्था के दौरान सही व संतुलित खानपान को लेकर डॉक्टर संध्या बताती है कि सही खानपान गर्भवती महिला को नॉर्मल डिलीवरी में बहुत मदद करता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान अपने खानपान पर का ज्ञान देना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को कोशिश करना चाहिए कि उनको कैल्शियम और आयरन की कमी ना हो। गर्भवती महिलाएं अपने डाइट में हरी, सब्जियां, जूस, अंडा, दाल, फल, चना, साग आदि शामिल कर सकती है।