शिवसागर। लगातार चाल रहे लू और भीषण गर्मी के कारण धान के बीज खेतों में सूखने लगा हैं। इसके लिए तापमान और तपिश को केवल दोषी नहीं माना जा सकता है। रोहिणी नक्षत्र बीत जाने के बाद अभी मृगदाह नक्षत्र चल रहा है इसके उपरांत बारिश न होने से किसान काफी परेशान है।लेकिन समस्या केवल रोहणी नक्षत्र और मृगदाह मे नही है पानी को लेकर समस्या आगे भी है।जिले मे सभी जगहों के लिए नहर का पानी पूरी क्षमता के साथ खोल दिए गए है लेकिन प्रखड़ के आधी आबादी जो नहरों से आहार, नदी,नालों के जरिए जुटे है वहां तक पानी पहुंचना काफी मुश्किल हो रहा है।इन जगहों पर नहर का साथ तब मिलेगा जब मौनसून बरसेगा और नहर का पानी बरसात के पानी के साथ मिलकर इलाको मे उमड़ेगा। पानी की इतनी समस्या का कारण विभाग और प्रशासन की बड़ी लापरवाही। प्रशासन इन जलाशयों पर लगातार बड़ रहे अतिक्रमण को गंभीरता से नहीं लेती।जल जीवन हरियाली योजना कहां है वो प्रशासन ही बता सकती है।इसके विपरित प्रतिदिन ताल,पोखरे,आहर,नदी और नारे भरे जा रहे है।कार्यवाही उन्ही जगहों पर की जाती है जहां हाईकोर्ट ने आदेश दिया हो।
प्रखंड के लगभग 60 प्रतिशत इलाको के जलाशय अतिक्रमित कर लिए गए है या टूट फुट कर बिखर गए है लेकिन प्रशासन को इस पर ध्यान नहीं है। उधर सिंचाई विभाग आराम से सो कर प्रतिवर्ष का लगान दंड के साथ लोड कर रही है।जिसका नतीजा आज किसान प्रकृति के भीषण प्रकोप में बिजडो को बचाने में लगी है।लेकिन रोहणी नक्षत्र के 30 प्रतिशत बीज आग उगलती धूप में पानी की कमी से सूख गए। प्रखण्ड के कई गांव मे हफ्ते दिन पहले का बीज सूख गया और खेतो मे दरार फट गए।हालाकि स्थानीय किसान इसे मोटर और सेमरसेबल के जरिए दिन मे दो बार पानी देते रहे लेकिन वाटर लेवल मे कमी के कारण पानी भी मिलना मुश्किल हो गया है।यहां के किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा की सिंचाई विभाग की लापरवाही कई वर्षो से चली आ रही है आज हालत ये है की इलाके के आहार टूटे पड़े है नहर का पानी आता है तो इन्ही रास्तों से बर्बाद हो जाता है।
वही आहरो का अतिक्रमण और आहारो की बदतर स्थिति से पानी जलाशयों मे नही पहुंच रहा है। कुओं का जीर्णोधार नाम का हुआ, प्रखंड के लगभग चयनित कुओं को भारी हालत मे उपर से डेट पेंट कर दिया गया।सोखता को जैसे तैसे बिना पानी के मार्ग पर खोद कर खानापूर्ति कर दी गई। जिसके कारण कही भी पानी का ठहराव नही है जिसके कारण वाटर लेवल काफी खतरनाक स्थिति ने है।बताते चले की इन इलाको ने इसी वजह से जलसंकट हराया हुआ है।स्थानीय किसानों ने कहा की इन सभी समस्याओं पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो आने वाले दिनों ने लोगो का पलायन निश्चित है।सरकार किसानों को लेकर अच्छी योजना बनाती है लेकिन किस दवाब में यह अमल नहीं होती समझ के बाहर है।लोग इन्ही योजनाओं से बेवकूफ बन रहे है। वोट बैंक को लेकर अतिक्रमण नहीं हटाना इन्ही नेताओं और सरकार का दूसरा पहलू है जिसका प्रशासन पालन करती है।अब किसान इस परिस्थिति में आगे मौनसून के भरोसे दो वक्त की रोटी के आस मे बैठे है।