कोई भी लोकसभा सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, बशर्ते उस पर 50 सांसदों के हस्ताक्षर हों.
संयुक्त विपक्ष I.N.D.I.A- यानि भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन ने मंगलवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का फैसला किया था. इसी संबंध में आज बुधवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सुबह 9.20 बजे स्पीकर के कार्यालय में अर्जी जमा किया. बता दें कि यदि अविश्वास प्रस्ताव सुबह 10 बजे से पहले प्रस्तुत किया जाता है, तो इसे उसी दिन लिया जाना चाहिए।. गोगोई के बाद भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सांसद नामा नागेश्वर राव ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया. लोकसभा दोपहर 12 बजे प्रस्ताव पर विचार करेगी.
संसद में अविश्वास प्रस्ताव- यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना चाहिए-
1. लोकसभा अध्यक्ष अब देखेंगे कि नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है या नहीं और फिर वह समय और तारीख आवंटित करेंगे. यह प्रस्ताव दोपहर 12 बजे उठाया जाएगा.
2. कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है बशर्ते सांसद के पास 50 सदस्यों के हस्ताक्षर हों.
3. लोकसभा की प्रक्रिया और आचरण के नियमों का नियम 198 अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया निर्दिष्ट करता है. सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होगी जिसे सदन में स्पीकर द्वारा पढ़ा जाएगा.
4. आवंटित तिथि प्रस्ताव स्वीकार होने के दिन से 10 दिनों के भीतर होनी चाहिए. यदि नहीं, तो प्रस्ताव विफल हो जाता है और प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्य को इसके बारे में सूचित करना पड़ता है. यदि सरकार सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है.
5. यह पहली बार नहीं है कि विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है, बल्कि पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह पहली बार है.
6. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को लाया गया था.
7. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने प्रचंड जीत हासिल की, जिसमें 325 सांसदों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और केवल 126 ने इसका समर्थन किया.
8. सत्तारूढ़ दल के पास दोनों सदनों में बहुमत है और इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी गुट की पहली मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है. विपक्ष पीएम मोदी से मणिपुर पर संसद में बोलने की मांग कर रहा है.
9. अविश्वास प्रस्ताव ने NDA vs I.N.D.I.A की राजनीतिक लड़ाई को और तेज कर दिया है. PM MODI ने मंगलवार को I.N.D.I.A और East India Company के बीच समानता बताई और कहा कि देश को विभाजित करने वाले संगठनों के नाम में भी इंडिया था.
10. इस मुद्दे पर बात करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है. हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं…सत्र शुरू होने से पहले, वे चर्चा चाहते थे. जब हम सहमत हुए तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया. जब हम नियमों पर सहमत हुए तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि प्रधानमंत्री आएं और चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं.