- 600 छात्रों को पढाते है मात्र 6 शिक्षक व दो टोला सेवक
राजपुर। एक ओर जहां बिहार में नीतीश सरकार शिक्षा को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षा का स्तर क्या है यह गांव के सरकारी विद्यालय में जाने के बाद ही मालूम चलता है। कहीं जर्जर भवन तो कहीं शिक्षकों का अभाव से लोग सरकारी शिक्षा से मुंह मोड़ने से मजबूर हो रहे हैं और निजी स्कूलों में पैसा दोहन का शिकार हो रहे हैं। इधर रोहतास जिले में भी सरकारी स्कूलों का कुछ ऐसा ही हाल है। राजपुर प्रखंड के रामदासी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मंगरवलिया में बारह क्लास तक 600 छात्रों को पढाने हेतु वर्तमान मे मात्र 6 शिक्षक व दो टोला सेवक पदस्थापित हैं. स्कूल मे पढ़ाई के लिए अब घंटी नहीं बजती. ना तो विद्यालय लगने की घंटी बजती है ना कक्षा संचालन की और ना हीं छुट्टी होने पर घंटी बजती हैं. शिक्षण हेतु विषयों के शिक्षक चेंज नहीं होते. बता दें की सरकार द्वारा विद्यालय को प्रमोट कर प्लस टू कर दिया गया है, लेकिन अभी तक विद्यालय को ना तो क्लर्क प्राप्त है ना चपरासी और ना हीं सफाई कर्मी. कक्षा एक से आठ तक के लिए नामांकित कुल 240 छात्र छात्राओं के लिए मध्यान भोजन तैयार करने हेतु मात्र एक रसोईया है. पठन-पाठन योग्य मात्रा छ: कमरे में बारहवीं तक का क्लास चलता है. विद्यालय का मैनेजमेंट इस तरह ध्वस्त है कि स्कूल मे बच्चों को मिड डे मील बनाने हेतु कोई रसोईया तैयार नहीं हो रहा है. स्कूल में बेंच डेस्क की इस कदर कमी है कि कक्षा 10 की छात्राएं भी जमीन पर दरी बिछा बैठकर पढ़ती हैं.
कहते हैं प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि स्कूल में कक्षा एक से आठ तक के लिए 240 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. जबकि हाई स्कूल मे 207 विद्यार्थियों का नामांकन है. वहीं टेन प्लस टू में 145 स्टूडेंट नामांकित है. विद्यालय में शिक्षक की कमी है. प्रधानाध्यापक समेत कुल छ: शिक्षक पदस्थापित हैं एवं दो टोला सेवक प्रतिनियुक्त हैं. टेन प्लस टू के लिए स्कूल भवन का निर्माण हो चुका है. लेकिन सरकार को हैंडोवर नहीं प्राप्त हैं. स्कूल के लिए रसोईया ढूंढने पर भी नहीं मिल रही है. बगल के गांव मालाव की एक रसोईया को प्रतिनियुक्त किया गया है. जो आने के लिए तैयार नहीं है. वही ऑफिशियल कार्यो को निपटाने के लिए कोई क्लर्क मौजूद नहीं है. बच्चों की सरकार से प्राप्त होने वाली जितनी भी प्रोत्साहन की योजनाएं हैं सभी का डाटा ऑनलाइन किया जाना है. जिसके लिए विद्यालय के पास कोई सिस्टम मौजूद नहीं हैं. बाजार से सारे कार्य समय पर नहीं हो पा रहे हैं. जिस कारण बच्चों व उनके अभिभावकों में असंतोष व्याप्त है।
कहते हैं पदाधिकारी
विद्यालय में कुछ और शिक्षक को स्थानांतरित कर भेजा जायेगा. लगातार जांच चल रही है. शिक्षण कार्यों में सुधार नहीं करने वालों शिक्षकों को दंडित किया जाएगा.