बिहार प्राचीन काल से ही ज्ञान और विज्ञान की भूमि रही है, स्वतंत्रता संग्राम भी गांधीजी के चंपारण के बिना अधूरा है. लेकिन ये सब तो इतिहास की बातें हैं, अब वर्तमान पर आते हैं. खासकर बिहार में. आजकल कुछ अलग ही चल रहा है. अगर आप किसी से सवाल पूछते हैं तो आपको जवाब नहीं मिलता. आज हम बात करेंगे बिहार में बढ़ते अपराध के बारे में.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की राजधानी में पिछले 30 दिनों में 30 हत्या की घटनाएं हुई हैं. इस रिपोर्ट के बारे में जानना आपके लिए क्यों ज़रूरी है? ऐसा इसलिए क्योंकि ये सब बिहार के कंट्रोल सेंटर पटना में हुआ. और इसलिए प्रश्न करना और पूछना महत्वपूर्ण है। आखिर ऐसा कैसे हो रहा है कि जहां मुख्यमंत्री रहते हैं, जहां बिहार पुलिस मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं, वहां से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर अपराधी आसानी से अपराध करके निकल जाते हैं. अब एक बात और कि इनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया जा रहा है.
क्या आप सचमुच ऐसा कहकर बच सकते हैं? ये भी ठीक है लेकिन अपराधियों के मन में पुलिस और कानून का खौफ क्यों नहीं है ये सबसे बड़ा प्रश्न उठता है.
राजधानी पटना में पिछले एक महीने से खूनी खेल चल रहा है. एक तरफ बिहार सरकार अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने की बात करती है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल बीजेपी इसे जंगलराज 2.0 से संबोधित करती है. इसमें सरकार और नीतीश कुमार पर आरोप लगाया गया है कि जिस जंगलराज के खिलाफ बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया, वह सत्ता के लालच में जंगलराज के रचयिता की गोद में बैठ गये हैं.
खैर, ये सियासी आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहेंगे, लेकिन आज हम बात करेंगे सबसे बड़े अपराध की उन घटनाओं के बारे में जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं.
- 30 जुलाई को खांजेकला थाना क्षेत्र के श्मशान घाट पर बदमाशों ने संतोष चौधरी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. शूटरों का निशाना इतना सटीक था कि संतोष की मौके पर ही मौत हो गयी. हालांकि, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
- 31 जुलाई की सुबह राजधानी का पॉश इलाका गोलियों से दहल उठा. सुबह 10.30 बजे बाइक सवार दो बदमाशों ने नीलेश मुखिया पर फायरिंग कर दी. 8 राउंड फायरिंग करने के बाद शूटर फरार हो गए. इस घटना में पार्षद पति गंभीर रूप से घायल हो गये. पाटलिपुत्र कॉलोनी जैसे पॉश इलाके में हुई घटना ने कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है.
- एक अगस्त की रात खांजेकला थाना क्षेत्र के महाराज घाट पर बाइक सवार बदमाशों ने गल्ला व्यवसायी की हत्या कर दी थी. बदमाशों ने ताबड़तोड़ 6 गोलियां चलाईं, जिससे गल्ला व्यापारी मनीष कुमार की मौके पर ही मौत हो गई. घटना को अंजाम देने के बाद शूटर फरार हो गये.
ऐसा नहीं है कि अपराध सिर्फ बिहार की राजधानी में ही हो रहा है, बल्कि आज पूरा बिहार बढ़ते अपराध से त्रस्त है. बिहार में ज्यादातर अपराधी पैसे और बैंक वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं. मुजफ्फरपुर में एक प्रॉपर्टी डीलर और उसके गार्ड की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. बड़े बैंक भी अपराधियों को पसंद आ रहे हैं. एक अगस्त को हाजीपुर के लालगंज थाना क्षेत्र में बदमाशों ने एक्सिस बैंक से लाखों रुपये लूट लिये थे. सुबह बैंक खुलते ही दो बाइक से आये चार बदमाशों ने लूट की घटना को अंजाम दिया. बिहार में बैंक लूट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे बैंक की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.
हाजीपुर से पहले बदमाशों ने मुजफ्फरपुर में उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को लूट लिया था. जुलाई में नालंदा के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक से 14 लाख की लूट हुई थी. 22 जून को शिवहर में बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा से दिनदहाड़े बदमाशों ने 27 लाख रुपये लूट लिए और फरार हो गए.
इसके साथ ही अन्य घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है, कितनी अजीब बात है ना, जिस बिहार में शिक्षा, रोजगार और विकास में बढ़ोतरी होनी चाहिए, वहां अपराध हो रहा है.
कटिहार में बिजली के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने फायरिंग की. इस घटना में सोनू नाम के युवक की मौत हो गई. पुलिस ने शुरुआत में घटना की वजह पुलिस फायरिंग बताई थी, लेकिन बाद में एसपी और डीएम ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीसीटीवी फुटेज जारी किया और घटना में एक युवक फायरिंग करता हुआ दिखा. पुलिस का दावा है कि प्रदर्शन के दौरान भीड़ में शामिल किसी उपद्रवी ने इस घटना को अंजाम दिया है. यह घटना आज भी सवालों के घेरे में है.
अप्रैल 2023 में जब राजविंदर सिंह भट्टी को बिहार पुलिस का मुखिया बनाया गया तो कानून के राज के दावों की चर्चा होने लगी. सरकार और पुलिस विभाग के साथ-साथ मीडिया में भी हंगामा मच गया. डर तब और बढ़ गया जब डीजीपी आरएस भट्टी ने पुलिस अधिकारियों के साथ पहली बैठक में अपराध रोकने का अपना सरल फार्मूला बताया. बोले, अपराधी बैठा होगा तो कुछ बुरा सोचेगा। अगर आप अपराधियों को नहीं भगाओगे तो वो आपको भगा देंगे.
अपराधग्रस्त बिहार में राज्य पुलिस प्रमुख के ऐसे दावों से आम जनता में सुरक्षा की उम्मीद जगी थी. वह पुलिस की हनक का इंतजार करते रहे थे, लेकिन कई मौकों पर बिहार पुलिस ने भी आम जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
फिलहाल बिहार में महागठबंधन की सरकार है. नीतीश सरकार में राजद की साझेदारी है. विपक्षी पार्टियां इसलिए भी सरकार को घेरती हैं क्योंकि नीतीश कुमार जंगलराज का नारा देकर बिहार की सत्ता में आये थे. इसी वजह से विपक्ष नीतीश राज का नारा दे रहा है जो जंगलराज से भी ज्यादा खतरनाक है. अपराध के ग्राफ को लेकर राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. जो भी हो, हमारा मानना है कि सभ्य और विकसित बिहार सिर्फ और सिर्फ सुरक्षित वातावरण में ही संभव है.