अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार की परीक्षा होती है कि उसके पास सदन में बहुमत है या नहीं। जब किसी पार्टी को लगता है कि सरकार सदन में बहुमत खो सकती है तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार (8 अगस्त) से चर्चा हो रही है. लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी संसद में लौट आए हैं और इस पर बहस में भी हिस्सा लिया है. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तीन दिन में 16 घंटे का समय दिया गया है और प्रधानमंत्री मोदी आज 10 अगस्त को इस पर जवाब देंगे. कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को I.N.D.I.A का समर्थन है, जबकि BJD ने. एनडीए का समर्थन किया. बता दें कि लोकसभा में बीजेडी के 12 सांसद हैं. वहीं, वाईएसआर कांग्रेस सरकार का समर्थन कर रही है. पिछले दिनों हुई ये बहस काफी चर्चा में रही. एनडीए की महिला सांसदों ने वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर उनकी तरफ देखकर ‘फ्लाइंग किस’ जैसा इशारा करने का आरोप लगाया. वहीं शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे विपक्ष को घेरते हुए कहा कि जनता को मोदी सरकार पर पूरा भरोसा है, विपक्ष अपने ही गठबंधन पर भरोसा हासिल करने के लिए अविश्वसनीय प्रस्ताव लेकर आया है. इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर हिंसा पर भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने सदन को मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से भी अवगत कराया.
अविश्वास प्रस्ताव क्या है?
अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार की परीक्षा होती है कि उसके पास सदन में बहुमत है या नहीं। जब किसी पार्टी को लगता है कि सरकार सदन में बहुमत खो सकती है तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
अगर किसी मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है तो कोई भी लोकसभा सांसद नोटिस लेकर आता है. उदाहरण के तौर पर इस बार विपक्ष मणिपुर में हुई हिंसा को लेकर नाराज है और लगातार सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है. सरकार को घेरने के लिए वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आये हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इसे स्वीकार कर लिया है और आज से इस पर बहस शुरू होनी है. अविश्वास पर चर्चा के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी है. गौरव गोगोई के नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. चर्चा के बाद इस पर वोटिंग कराई जाएगी.
अविश्वास कब लाया जाता है?
संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार सरकार यानी प्रधानमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होती है। लोकसभा में जन प्रतिनिधि बैठते हैं इसलिए सरकार के लिए उनका विश्वास हासिल करना जरूरी है. ऐसे में अगर किसी विपक्षी दल को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. इसके आधार पर लोकसभा के नियम 198(1) से 198(5) के तहत कहा गया है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ अविश्वास का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को सौंप सकता है.
किसके खिलाफ कितनी बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव?
इंदिरा गांधी के खिलाफ सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव
पीएम-प्रस्ताव
पंडित जवाहर लाल नेहरू- 01
लाल बहादुर शास्त्री-03
इंदिरा गांधी – 15
पीवी नरसिंह राव – 03
मोरारजी देसाई – 02
राजीव गांधी – 01
अटल बिहारी वाजपेयी – 01
नरेंद्र मोदी – 02
-1963 में पहली बार आया था जवाहर नेहरू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
-28 अविश्वास प्रस्ताव अबतक आया