बिहार के भागलपुर जिले का बहुचर्चित सृजन घोटाला एकबार फिर से सुर्खियों में है. इस घोटोले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है.
आपको बता दें कि 1000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा 03 अगस्त 2017 को हुआ था. सृजन मामले में भागलपुर के पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज होने लगी थी. खास बात यह है कि यह मामला तब सामने आया जब 2017 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के साथ महागठबंधन सरकार छोड़ दी और भाजपा के साथ फिर से सरकार बनाई। तब सत्ता से बाहर रही राजद ने सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था. अब एक बार फिर इस घोटाले का जिन्न बाहर आ गया है.
दरअसल, मामला विभिन्न सरकारी विभागों के बैंक खातों से अवैध निकासी और सृजन महिला विकास सहयोग समिति के विभिन्न बैंकों, मुख्य रूप से बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक की भागलपुर शाखा में बड़ी संख्या में अवैध निकासी से संबंधित है। इनमें सबसे ज्यादा घोटाला जिले में भूमि अधिग्रहण में हुआ है. इसमें 270 करोड़ रुपये की सरकारी राशि गलत तरीके से सृजन के खाते में ट्रांसफर कर दी गयी.
लेकिन क्या है सृजन घोटाला जो इन दिनों सुर्खियों में है. गुरुवार को मुख्य साजिशकर्ता को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार करने के बाद क्या होगा. समझने के लिए पूरा पढ़ें:
- क्या है सृजन घोटाला:
सृजन महिला सहयोग समिति एक गैर सरकारी संगठन है, जिसके खातों में 2004 से 2014 के बीच कथित तौर पर बड़ी मात्रा में सरकारी धन धोखाधड़ी से स्थानांतरित किया गया था। संगठन का कार्यालय बिहार के भागलपुर जिले के सबौर ब्लॉक में स्थित है।
- एनजीओ ने क्या किया:
एनजीओ भागलपुर में महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देता था. एनजीओ पर जिला अधिकारियों, बैंकरों और उसके कर्मचारियों की मिलीभगत से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए भागलपुर जिला प्रशासन के खातों से सरकारी धन की चोरी करने का आरोप है।
- यह घोटाला इतने लंबे समय तक कैसे अनदेखा रहा:
बैंकरों और जिला अधिकारियों की मिलीभगत से, एनजीओ कथित तौर पर फर्जी बैंक स्टेटमेंट और पासबुक प्राप्त करता था, जिसमें विभिन्न सरकारी विभागों में खाते की आधिकारिक पुस्तकों को बनाए रखने के उद्देश्य से सही राशि का उल्लेख होता था।
- घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया:
जांचकर्ताओं का कहना है कि एनजीओ फर्जी तरीके से बैंकों से चेक बुक हासिल करता था और अपने पक्ष में चेक जारी करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के फर्जी हस्ताक्षर करता था और भारी धनराशि ट्रांसफर करता था।
- एनजीओ की कार्यप्रणाली:
जब जिला मजिस्ट्रेट सहित सरकारी विभागों के प्रमुख पैसे निकालने के लिए चेक जारी करते थे, तो सरकारी कर्मचारी और बैंकर कथित तौर पर एनजीओ को जानकारी भेज देते थे, जो कथित तौर पर उक्त सरकारी खाते में पैसे की भरपाई कर देता था.
- कैसे सामने आया घोटाला
फरवरी 2017 में एनजीओ की संस्थापक मनोरमा देवी की मृत्यु के बाद परिवार में मतभेद पैदा हो गए और जिन लोगों ने एनजीओ से अवैध तरीके से कर्ज लिया था, वे भुगतान में चूक करने लगे. एनजीओ को वित्तीय संकट महसूस होने लगा और सरकारी धन की समय पर भरपाई करने में कठिनाई होने लगी. 3 अगस्त, 2017 को 10.32 करोड़ रुपये का सरकारी चेक खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण बाउंस हो गया, जिससे घोटाला उजागर हुआ.
- इसकी वर्तमान स्थिति क्या है:
शुरुआत में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भागलपुर पुलिस को जांच में मदद की. तक पड़ोसी जिलों बांका और सहरसा में एक-एक सहित तेरह प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में भागलपुर पुलिस की विशेष जांच टीम ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया था. अनुमान लगाया गया था कि यह घोटाला 1000 करोड़ रुपये से अधिक का है. बाद में बिहार सरकार के अनुरोध पर घोटाले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली. अब ताजा घटनाक्रम यह है कि घोटाले के मास्टरमाइंड को कल सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद से गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई द्वारा दिए गए बयान में कहा गया: आज भागलपुर (बिहार) स्थित एक एनजीओ से संबंधित घोटाले में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलों की अदालत, पटना द्वारा जारी गैर जमानती वारंट के आधार पर एक फरार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
उक्त गिरफ्तार आरोपी, एनजीओ के संस्थापक और सचिव की बहू, कथित तौर पर घोटाले में मुख्य आरोपी है और जांच की शुरुआत से ही फरार है. अदालत ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था. कड़े प्रयासों के बाद, सीबीआई ने उसे साहिबाबाद (उत्तर प्रदेश) से ढूंढ लिया और गिरफ्तार कर लिया.