पटना। सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवाएं लोगों को उपलब्ध कराने वाली जन औषधि केंद्र राज्य में दवाओं की आपूर्ति में अपनी भूमिका का लगातार विस्तार कर रहा है। दवा का पर्चा हाथ में आने के बाद लोगों के मन में खर्च के आशंकाओं को यह मिटा रहा है। डॉ मनसुख मंडाविया के एक ट्वीट के मुताबिक पिछले 9 वर्षों में जनता ने 23 हजार करोड़ की बचत जन औषधि के माध्यम से की है। वहीं अगर बिहार की बात करें तो पूरे बिहार में प्रत्येक महीने करीब 22 करोड रुपए से ज्यादा की बचत यहां के लोग कर रहे हैं।
बिहार में जन औषधि के नोडल अशोक कुमार द्विवेदी ने बताया कि राज्य के 38 जिलों में लगभग 400 जन औषधि केंद्र हैं। इन केंद्रों की सेल प्रत्येक महीने चार करोड़ रुपए हैं। वहीं गार्डिनर रोड अस्पताल, पटना के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि जन औषधि केंद्र गरीब जनता के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रहा है। इन केंद्रों में सस्ती दवाईंया और सर्जिकल आइटम मौजूद होते हैं। डायबीटिज,कैंसर, हृदय रोग से लेकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी दवाइयां भी इसमें आसानी से सस्ती दर पर उपलब्ध रहती हैं।
ब्रांडेड से छह गुणी सस्ती होती है दवाएं
अशोक कुमार द्विवेदी ने बताया कि जन औषधि पर मिलने वाली दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। अगर कोई व्यक्ति 100 रूपए की दवा जन औषधि केंद्र से खरीदता है तो वह ब्रांडेड दवा की अपेक्षा 6 गुणा उस दवा पर बचत करता है। इस प्रकार वह वह उस दवा पर 600 रुपए की सेविंग करता है।
जन औषधि केंद्र बन चुका है सुविधा केंद्र
जन औषधि के सह नोडल कुमार पाठक ने बताया कि जन औषधि केंद्र सरकारी स्टोर के तमगे से बाहर निकलकर अब सामान्य लोगों के लिए समाधान और सुविधा के केंद्र बन रहे हैं। जहां 1800 उच्च गुणवत्तापूर्ण दवाइयां व 285 तरह के सर्जिकल उपकरण 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ते दामों में उपलब्ध है।
एक रुपए में महिलाएं अपना सकेंगी स्वच्छता
महिलाओं के मासिक स्वच्छता की दिशा में भी जन औषधि केंद्र अपना हाथ आगे बढ़ा रहा है। अब जन औषधि केंद्रों पर 1 रूपए में ऑक्सो -बायोग्रेडेबल सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध है। जबकि बाजार में उपलब्ध कोई ब्रांडेड नैपकिन कम से कम 8 रुपए में उपलब्ध है। नेशनल फैमिली स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार इससे बिहार के उस 41 प्रतिशत महिलाओं को फायदा होगा जो अपने मासिक के दौरान पैसों के अभाव में स्वच्छता का ख्याल नहीं रह पाती हैं।
राज्य दे रहा ब्रांडिंग और जागरूकता पर ध्यान
कुमार पाठक ने बताया कि राज्य में जन औषधि केंद्रों की ब्रांडिग पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, वहीं दुकानों के कलर कॉम्बिनेशन और जन औषधि केंद्रों पर जानकारी लोगों तक पहुंचे इसके लिए सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। दवाओं और सर्जिकल आइटम के प्रकार का वृहत समावेश केंद्रों पर हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लाभ आम जन को मिले इस बात का ध्यान भी खास कर रखा जा रहा है।
क्या है जन औषधि केंद्र
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित एक योजना है। 2014-15 में जनऔषधि योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना कर दिया गया। इस योजना में सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयों के दाम बाजार मूल्य से कम किए जा रहें है। सरकार द्वारा जन औषधि स्टोर बनाए गए हैं, जहां जेनरिक दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही है।