बिहार में जातीय गणना के आंकड़े सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने मांग रख दी है। मांझी ने कहा है कि जिसकी जितनी संख्या भारी मिले, उसको उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए। इस आधार पर नीतीश कुमाार से आग्रह करता हूं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करें। इससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाएगा। दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद कहते रहे हैं कि जातीय गणना से सरकार को कई बातों को साफ-साफ समझने का मौका मिलेगा। उसके अनुसार नीतियां बनाई जा सकेगी।
अब राजनीति में हिस्सेदारी की मांग भी जाति आधारित गणना के आंकड़ों के अनुसार होने लगी है। वहीं, मांझी के बयान पर जेडीयू नेता अंजुम आरा ने कहा है कि जीतन राम मांझी लोकसभा में बेटे को टिकट दिलाने के लिए भाजपा की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को पूरे देश में जातीय गणना करानी चाहिए। बीजेपी ने जाति आधारित गणना पर पर उठाए गंभीर सवाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया क़ि गणना में फ़र्ज़ीवाड़ा हुआ है. अति पिछड़ा को खंडित करने की कोशिश की गई है। जातियों क गलत देता जारी किया गया है। रविशंकर प्रशाद ने रिकॉर्ड जारी करने की मांग की है..
चिराग ने कहा- विशेष जाति के आंकड़ों को बढ़ाकर दिखाया गया
चिराग पासवान ने कहा कि इसमें जाति विशेष के आंकड़ों को बढ़ाकर दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार की ऐसी कई अन्य छोटी जातियां हैं, जिनके आकंड़ों को कम करके दिखाया गया है। सरकार इसके जरिए राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रही है। कई ऐसी अनुसूचित जाति और जनजाति के तहत आने वाली छोटी जातियां हैं या पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग से आने वाली जातियां हैं, जिन्हें कम करके दिखाने का प्रयास किया गया है।