सासाराम। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर यानी कल से शुरू होने जा रहा है। कलश स्थापना के साथ शुरू होने वाला नौ दिनों मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना होगी। इन दिनों में व्रत रखने और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का बड़ा महत्व है। ताराचण्डी मंदिर के महंत उदय गिरी ने बताया कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। यह शुभ तिथि 15 अक्तूबर दिन रविवार को है। शारदीय नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद से ही मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की नौ दिन तक पूजा अर्चना करते हैं और व्रत करते हैं।
कुछ लोग नवरात्र की प्रतिपदा और अष्टमी तिथि का व्रत रखते हैं, तो कुछ पूरे नौ दिन तक व्रत रखते हैं। रविवार के दिन से नवरात्र शुरू हो रहा है और पहले दिन ही कलश स्थापना होता है। पंडित अमित मिश्रा ने बताया की माता का आगमन सप्तमी के दिन होता है और सप्तमी शनिवार को हो रहा है। शनिवार माता का वाहन घोड़ा होता है। इसलिए इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार हो कर आ रही है। उन्होंने बताया की मां दुर्गा इस बार रौद्र रुप में आगमन कर रही है इसलिए यह कष्टकाई भी हो सकता है। पंडित अमित मिश्रा ने बताया की धरती पर पाप बढ़ने के कारण माता क्रोधित मुद्रा में आ रही है। इसलिए इस बार भक्त अच्छे से पूजा अर्चना कर मां के क्रोध को शांत कर सकते हैं। उन्होंने कहा की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भक्त मां दुर्गे की पूजा अर्चना करें।
धर्म-शास्त्रों के अनुसार जब नवरात्रि शनिवार या मंगलवार के दिन समाप्त हों तो मां दुर्गा का प्रस्थान मुर्गे पर होता है. इस साल शारदीय नवरात्रि मंगलवार को समाप्त होंगी, लिहाजा माता रानी की प्रस्थान की सवारी मुर्गा होगा। दुर्गा सप्तशती के वर्णन के अनुसार देवी दुर्गा की विदाई का वाहन मुर्गा प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक हैं। यानी कि यह संकेत है कि आने वाले समय में कोई आपदा आ सकती है. लिहाजा इन संकटों के प्रति सचेत रहना ही बेहतर रहेगा।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंडित अमित मिश्रा ने बताया कि आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 14 अक्तूबर को रात 11:24 मिनट से शुरू होगा। समापन तिथि 15 अक्तूबर को दोपहर 12:32 मिनट है। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त पूर्वाह्न 11:36 मिनट से दोपहर 12:24 मिनट तक है। ऐसे में कलश स्थापना के लिए 48 मिनट का समय रहेगा। उन्होंने कहा कि कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। जिससे मानव कल्याण होता है।