दिल्ली। पूरे देश में आज भी मजदूर सीवर में उतर कर उसकी सफाई करते हैं, लेकिन इस दौरान कई मजदूरों की मौत की खबर भी सामने आती है। वहीं, सीवर में सफाई करने के दौरान होने वाली मौतों पर लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होने वालों को न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य विकलांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा। कई निर्देश जारी करते हुए, पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकारी अधिकारियों को सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिवारों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। इस मामले को लेकर SC ने यह भी कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी रूप से विकलांग होने वाले व्यक्तियों को न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीवर में होने वाली मौतों और मामलों की निगरानी पर कई निर्देश जारी किए, कहा कि HC को निगरानी से रोका नहीं गया है। सीवर से होने वाली मौतों पर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो। जुलाई 2022 में लोकसभा में उद्धृत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कम से कम 347 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं।