दिल्ली। जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पारित हो गये. जम्मू-कश्मीर आरक्षण-संशोधन विधेयक-2023, जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक-2004 में संशोधन के बारे में है. इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को पेशेवर संस्थानों में नौकरियों तथा प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-संशोधन विधेयक-2023, जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन विधेयक-2019 में संशोधन के बारे में है. इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 83 सीटों को निर्दिष्ट करने वाले 1950 के अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया गया था. प्रस्तावित विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 करने का प्रावधान है. इसमें अनुसूचित जातियों के लिए 7 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटों का प्रस्ताव किया गया है.
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में दो बड़ी ‘ग़लतियां’ हुई थीं. फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “…उस समय, पुंछ और राजौरी को बचाने के लिए सेना को हटाया गया था. अगर ऐसा नहीं किया गया होता, तो पुंछ और राजौरी भी पाकिस्तान में चला जाता. उस समय और कोई रास्ता नहीं था, लॉर्ड माउंटबेटन और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी सुझाव दिया था कि यह संयुक्त राष्ट्र संघ में जाना चाहिए.”
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अमित शाह के उस बयान पर भी अपना पक्ष रखा जिसमें उन्होंने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का मुद्दा उठाया था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “कितनी फौज है वहां, कितनी बीएसएफ, कितनी सीआरपीएफ है? अगर इतनी फौज होने के बाद भी हमारे फौजी, जवान और अफसर मर रहे हैं तो वजह क्या है. अगर सचमुच आतंकवाद खत्म हो गया है तो हमारे जवान कैसे मारे गए?”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “…कल गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तंज़ कसते हुए कहा था कि किसी देश में एक से अधिक संविधान, एक से अधिक ध्वज कैसे हो सकते हैं? अगर वे दुनिया भर में देखें तो ऐसे कई देश हैं जहां एक से अधिक संविधान, एक से अधिक ध्वज हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका के, 50 राज्यों में हर एक का अपना संविधान और अपना ध्वज है. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया में उनके पास न केवल अपना संविधान है और अपना ध्वज है, बल्कि प्रत्येक राज्य का अपना प्रधानमंत्री भी है. आप कह सकते हैं कि भारत में हम ऐसा नहीं चाहते. यह ठीक है लेकिन यह मत कहो कि किसी भी देश के पास यह नहीं हो सकता क्योंकि अन्य देशों के पास यह है.”
लोकसभा में जम्मू और कश्मीर से संबंधित विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “एक देश में दो प्रधानमंत्री, दो संविधान और दो झंडे कैसे हो सकते हैं? जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्होंने गलत किया. पीएम मोदी ने इसे ठीक किया. हम 1950 से कह रहे हैं कि देश में ‘एक प्रधान, एक निशान, एक विधान’ होना चाहिए और हमने यह किया.” सदन में जब अमित शाह बोल रहे थे तो कई बार कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपनी बात रखने की कोशिश की. सदन से बाहर एएनआई से बात करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि गृहमंत्री को मिली जानकारी का स्रोत क्या है लेकिन इतिहास की बात करें तो प्रधानमंत्री को भारतीय सेना के तत्कालीन कमांडर इन चीफ़ जनरल रॉय बुचर से ये सलाह मिली थी कि पाकिस्तान के साथ युद्ध फंस सा गया है और सीज़फायर अनिवार्य हो गया है. तत्कालीन नेहरू मंत्रिमंडल ने ये निर्णय लिया था. नेहरू ने अकेले ये निर्णय नहीं लिया था
ये कैबिनेट का फ़ैसला था.” कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाना बीजेपी की आदत हो गई है. आप चीजें कह सकते हैं क्योंकि जवाहरलाल नेहरू यहां जवाब मांगने के लिए मौजूद नहीं हैं. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “बीजेपी 75 साल पुरानी बातें कर रही है. आप यहां इतिहास रचने आए थे तो आप इतिहास में जा जाकर दूसरों को क्यों कोस रहे हैं?” वहीं, निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा, “अमित भाई ने नेहरू जी को गलत नहीं कहा. नेहरू जी ने जो खुद की गलतियां थी, उसको जो उन्होंने एक जगह कहा, उसका सिर्फ़ वाक्य और शब्द उन्होंने संसद में व्याख्या सहित बताया.”
सद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन ये दोनों विधेयक लोकसभा से पारित हो गए. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है. पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं और ‘पाक-अधिकृत कश्मीर’ की 24 सीटें रिज़र्व रखी गई हैं.