पटना। बिहार में आगामी चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है, पक्ष विपक्ष के बीच सियासी बयानबाज़ी जारी है। इसी क्रम में सीबीआई द्वारा दिए आरोप पत्र में हुलास पांडे का नाम आने से प्रदेश में अलग ही बहस छिड़ गई है। इसी क्रम में हुलास पांडे ने भी अपनी सफ़ाई पेश की है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडे ने पार्टी के राज्य मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि खिलाफ सीबीआई द्वारा समर्पित आरोप पत्र न्यायसंगत नहीं है। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। मैं कोर्ट की शरण में जाऊंगा।
मुझे पूरा भरोसा है कि मुझे इंसाफ मिलेगा, उन्होंने कहा कि घटना के दिन मैं अपने पटना स्थित सरकारी आवास पर था। सरकार के द्वारा प्रतिनियुक्त कई अंगरक्षक मेरे साथ थे। फिर भी 10 वर्षो के बाद मेरा नाम अप्रत्याशित ढंग से आरोप पत्र में जोड़ा गया।इसके साथ ही हुलास पांडे ने कहा कि मैने नैत्तिकता के आधार पर पार्टी के बिहार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद से त्याग पत्र पार्टी हाई कमान को भेज दिया है। 2012 की घटना है, और 2023 में मेरा नाम जोड़ा गया जिससे साफ है कि सियासी साज़िश के तहत मेरा नाम जोड़ा गया है।
चुनाव जब जब आता है, इस तरह की घटनाओं का ज़िक्र करके मेरे जरिए मेरी पार्टी को घेरने की कोशिश की जाती है। इस घटना का बारीकी से अध्यन करने पर आप लोगों को भी पता चलेगा कि मेरे साथ क्या, किया जा रहा है। इस तरह के हालात क्यों पैदा किये जा रहे हैं। घटनाक्रम में जो नाम जोड़ा गया है, इसकी तफ्तीश के लिए भोजपुरा जिला के एक-एक गावं जाइए।
वहां के लोगो से मिलिए। शहर में घूमिए पता चल जाएगा कि लोग क्या कह रहे हैं। सीबीआई को जो करना था कर दिया। सीबीई से मेरा कोई विरोध नही हैं। सीबीआई में ज़रूर कोई ऐसे पदाधिकारी बैठे हैं जिन्होंने, मेरा नाम जोड़कर मेरी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की है। हम ऐसा होने नहीं देंगे, मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है, उम्मीद है कि मुझे वहां इंसाफ मिलेगा।