जिले में हर वर्ष बढ़ रहे कुपोषित बच्चें, कुपोषित बच्चों को एनआरसी तक लाने को मिले निर्देश
सासाराम। बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए बच्चे के जन्म से पूर्व और जन्म के बाद तक रखरखाव के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, ताकि आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वस्थ हो। आंगनवाड़ी केंद्रों से लेकर सरकारी अस्पतालों तक सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चे के जन्म से पूर्व गर्भवती मां एवं बच्चे के जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को बेहतर पोषण मिले इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। इन्हीं योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में अति कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए (एनआरसी) पोषण पुनर्वास केंद्र का निर्माण कराया गया है जहां अति कुपोषित बच्चों को बेहतर रखरखाव और उचित पोषण के माध्यम से उसकी देखभाल किया जा सके। कुपोषण की रोकथाम को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे पोषण पुनर्वास केंद्र को लेकर अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। सासाराम सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एमआरसी) से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2022 में कुल 89 अति गंभीर कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया था जबकि वर्ष 2023 में यह आंकड़ा बढ़ कर 125 हो गया। जिला पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा सभी अति गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषित कर उन्हे घर वापस भेजा गया।
बच्चों के पोषण का बेहतर इंतजाम
पोषण पुनर्वास केंद्र की इंचार्ज रिया कुमारी ने बताया कि सरकार कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए लगातार कई अभियान चला रही है और यह केंद्र बच्चों को पोषित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि लंबाई के अनुसार कम वजन वाले बच्चों को यहां भर्ती किया जाता है और 14 से 21 दिन के अंदर उन्हें पोषित करके वापस भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों के साथ-साथ मां को भी 100 प्रतिदिन क्षतिपूर्ति के साथ-साथ भोजन उपलब्ध कराया जाता है। रिया कुमारी ने बताया की 14 से 21 दिनों तक बच्चों के समय समय पर विशेष पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है जिससे उन्हें काफी फायदा मिलता है।
आईसीडीएस, आरबीएसके सहित आशा की जिम्मेदारी
एनआरसी के नोडल पदाधिकारी सह डीपीसी संजीव मधुकर ने बताया कि कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए सदर अस्पताल में एनआरसी संचालित किया जाता है और यह बेहतर सुविधा उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने बताया कि इस एनआरसी से हर महीने काफी बच्चे पोषित होकर बाहर निकलते हैं। संजीव मधुकर ने बताया कि जिले में आईसीडीएस विभाग, आरबीएसके के साथ-साथ आशा कर्मियों को अपने पोषक क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की पहचान कर एनआरसी में भर्ती कराने की जिम्मेदारी दी गई है। डीपीसी ने बताया कि कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी तक लाने के लिए जिलाधिकारी द्वारा आईसीडीएस को कड़े दिशा निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा की यदि सही तरीके से बच्चों की पहचान करके एनआरसी में भर्ती कराया जाए तो जिले से कुपोषण को भी दूर किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए हमारे यहां बेहतर प्रबंध है