कंगारू मदर केयर से नवजातों को मिल रही नई जिंदगी
सासाराम। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए लगातार बेहतर प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू को लगातार बेहतर करने का भी प्रयास किया जा रहा है। साथ ही बच्चों के जन्म से पूर्व गर्भवती महिलाओं का मातृत्व जांच करके उचित सलाह एवं बेहतर इलाज दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं एसएनसीयू में ही कमजोर नवजात शिशुओं के लिए कंगारू मदद केयर यूनिट भी बनाया गया है, जिसमें नवजात शिशु की मां बच्चों को शरीर के गर्माहट देकर उन्हें ऊर्जा प्रदान करती है, जो कमजोर नवजात शिशु के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है। कमजोर नवजात शिशु का शरीर बहुत जल्दी अपनी गर्मी खोता है जिससे उसकी मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में कंगारू मदर केयर के माध्यम से बच्चों को मां की त्वचा से अपने शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद मिलती है। साथ ही कंगारू मदर केयर से नवजात शिशु को बाहरी संक्रमण से भी बचाव होता है।
रोहतास जिले में भी शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट
सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के साथ साथ, नवजातों के लिए बेहतर प्रबंधन की वजह से शिशु मृत्यु दर में लगातार गिरावट देखी जा रही है। एसएनसीयू में कार्यरत स्टाफ नर्स विदुषी लता ने बताया की कंगारू मदर केयर एक प्रक्रिया है जिसमें मां के शरीर के गर्मी शिशु को प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि एसएनसीयू में कंगारू मदर केयर के लिए अलग से रूम भी बनाए गए हैं और एसएनसीयू में अक्सर ऐसे बच्चे आते हैं जिनको कंगारू मदर केयर की आवश्यकता होती है। विदुषी लता ने बताया कि इसके लिए बच्चों की मां को इसके फायदे बताए जाते हैं और घर पर भी करने की सलाह दी जाती है।
हाइपोथर्मिया से होता है बचाव
शिशु रोग विशेषज्ञ सह एसीएमओ डॉ अशोक कुमार ने बताया कि कंगारू मदर केयर एक थेरेपी है जिससे बच्चों को शरीर की गर्मी प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया (अल्पपोष्णता) की बीमारी से बचने के लिए बच्चों को उसे ऊष्मा प्रदान की जाती है जो वर्तमान समय में वार्मर मशीन के द्वारा दी जाती है। परंतु यह थेरेपी नवजात शिशुओं को मां के शरीर की गर्मी से भी उपलब्ध कराई जाती है जिसे कंगारू मदर केयर थेरेपी भी कहते हैं। एसीएमओ ने बताया की इस थैरेपी में मां अपने नवजात शिशुओं के सीने से चिपका कर अपने शरीर की कर्माहट प्रदान करती है जिससे बच्चे को गर्मी मिलती है। उन्होंने बताया की इस थैरेपी से पुरुष भी अपने बच्चे को गर्मी प्रदान कर सकते हैं। एसीएमओ ने बताया की एसएनसीयू में तो यह सुविधा मुहैया कराया ही जाता है एसएनसीयू से डिस्चार्ज के बाद घर पर भी बच्चे की मां को इसी थेरेपी को अपना कर नवजात को गर्मी देने की सलाह दी जाती है।