पटना। जिला माइनिंग फंड को लेकर जिलों में काफी लापरवाही हो रही है। राज्य मुख्यालय से लगातार जिलों से माइनिंग फंड की योजनाओं की जानकारी तलब की जा रही है, लेकिन जिलों के अधिकारी मुख्यालय को सूचना देने से बच रहे हैं। हाल ही में खान एवं भू-तत्व विभाग के अपर मुख्य सचिव रवि परमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिलों की यह लापरवाही सामने आने के बाद सरकार सख्त हो गई है।
खान एवं भू-तत्व विभाग के अपर मुख्य सचिव रवि मनुभाई परमार ने जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जिला माइनिंग फंड में ली गई योजनाएं और अब तक हुए खर्च का आकलन करने के लिए योजना आडिट कराएं। आडिट के आधार पर वार्षिक रिपोर्ट तैयार करें और राज्य मुख्यालय को मुहैया कराएं। बैठक में यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2022 में ही केंद्र सरकार ने बिहार के खनिज विकास फंड की अद्यतन स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए योजनाओं का पैन पंजीयन कराने का निर्देश दिए था। केंद्र का निर्देश रहने के बाद भी 38 में 28 जिलों ने ही पैन पंजीयन कराया। 10 जिले ऐसे भी हैं जिन्होंने अब तक पैन पंजीयन नहीं कराया है।
अब अपर मुख्य सचिव ने जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों को एक महीने की मोहलत देते हुए पैन पंजीयन के साथ डीएमएफ खाता का आडिट और वार्षिक रिपोर्ट मुख्यालय को भेजने का आदेश दिया है। बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर तक डीएमएफ में 168 योजनाओं का चयन किया गया था। इन योजनाओं में 131.73 करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन विभाग को जानकारी मिली थी कि जिलों ने चयनित योजनाओं में आकलित खर्च के विपरीत 90.17 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं।