पटना। बच्चे, बड़े या बूढ़े अपने काम को आसान बनाने और समय को काटने के लिए इंटरनेट पर अच्छा खासा समय बिताते हैं। लेकिन इंटरनेट पर लगातार सक्रिय रहना साइबर क्राइम की दृष्टि से सुरक्षित है? क्या इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे लोग इसके फायदे के साथ-साथ इसके खतरे से भी आगाह हैं। हर रोज हो रही आर्थिक ठगी से लेकर लड़कियों की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें ब्लैकमेल तक किया जाना साइबर क्राइम में शामिल है। 2004 में यूरोपियन संघ द्वारा इंटरनेट को युवाओं के लिए सुरक्षित बनाने को सुरक्षित इंटरनेट दिवस की शुरुआत की गई थी। अब दुनिया भर में इस दिवस को फरवरी में मनाया जाता हैं। इस साल छह फरवरी को मनाया जा रहा है। इओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि इस साल इस दिवस की थीम “एक साथ बेहतर इंटरनेट के लिए” है। इसका उद्देश्य सभी लोगो को मिलकर इंटरनेट को एक सुरक्षित बनाना हैं।
इंटरनेट का दुरुपयोग कर अपराधी आए दिन निजी तस्वीरों और जानकारी से छेड़छाड़ कर लोगों खासतौर पर लड़कियों को परेशानी में डाल देते हैं, लेकिन इन तक पहुंचने का रास्ता भी इंटरनेट ही निकालता है। ढिल्लों ने बताया कि कोई भी महिला एनसीआरपी पोर्टल के माध्यम से ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज करा सकती हैं या फिर 1930 हेल्पलाइन नंबर की सहायता ले सकती हैं। न केवल इंटरनेट बल्कि सड़क पर फंसी महिलाओं के लिए एसओएस एप की सुविधा भी प्रदान की गई है। इआरएसएस द्वारा 112 इंडिया एप सहायता प्रदान करता है।
मगध महिला कालेज की छात्रा नंदिनी कुमारी कहती हैं कि इंटरनेट का सही उपयोग कर सुरक्षित रहा जा सकता है। कभी उन्हें अकेले जाना हो तो वो अपने लाइव लोकेशन को अपने स्वजन के साथ साझा कर देती हैं। साइबर एक्सपर्ट राजन सिंह ने कहा कि आज कल युवा अपना अधिकतर समय इंटरनेट पर गुजारते हैं। इससे साइबर क्राइम का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा सुरक्षा का ध्यान रखें। अनजान लिंक से बचें। लालच में नहीं पड़ें। स्कूल और काॅलेजों को चाहिए कि वे युवाओं को इंटरनेट के खतरों के प्रति आगाह करें और साइबर अपराध से बचने के प्रति जागरूक रखें। कई बार पैसों की लालच या सही जानकारी से वंचित रह जाने के कारण लोग आनलाइन मनी फ्राड का शिकार बन जाते हैं।
ऐसे में हमेशा पहले पता करे कि पैसों का लेन देन केवल अपने बैंक के प्रामाणिक ऐप पर ही हो। अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करें और संदिग्ध वेब पेज को तुरंत ही ब्लाक कर रिपोर्ट करें। पेरेंटल कंट्रोल ऐप से बच्चों पर नज़र रखें। सेफ मोड को आन रखें, ताकि सारे वयस्क साइट बच्चों की पहुंच में न आएं। उन्हीं सुरक्षित ऐप्स का उपयोग करे जो डेटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा अनुमोदित हैं। कई बार लोकल ऐप के जरिए धोखे से अनुमति ले ली जाती हैं। जिससे अपराधी लोकेशन, कांटेक्ट को ट्रैक कर स्टाकिंग का शिकार बनाते हैं।