पटना। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। पांच संदर्भों में वे इस न्याय शब्द की विवेचना करते हैं। उनमें से एक संदर्भ नारी न्याय का है। बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शरबत जहां फातिमा इस नारी न्याय का विस्तार दाल-रोटी की सहज उपलब्धता से लेकर सत्ता में सम्मानजनक हिस्सेदारी तक बताती हैं। मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ की उपस्थिति में मंगलवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर उन्होंने बताया कि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सशक्तीकरण से ही नारियों को असली न्याय मिल सकता है।
आज महंगाई की मार चौतरफा है। रसोई से लेकर घर-गृहस्थी के दूसरे कामों तक इसका सर्वाधिक असर महिलाओं पर ही है। उन्हें समान काम के लिए समान वेतन भी नहीं मिल रहा। पौष्टिक आहार व स्वच्छता की कमी से वे बीमार पड़ रहीं और उनका प्राणांत तक हो जा रहा।
आधी आबादी में शिक्षा की ललक बढ़ी है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सुविधा व सुरक्षा का अभाव है। बिहार में युवतियों का अपहरण सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं। महिला आरक्षण विधेयक पर संसद की मुहर तो लग गई, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो ढुलमुल चाल अपनाई है, उससे वह 2035 से पहले प्रभावी होने से रहा। अभी तो महिलाओं से बाचतीत में भी गरिमा का ध्यान नहीं रखा जा रहा। इसके लिए कांग्रेस संघर्षरत हैं और आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन भी छेड़ा जाएगा।