सासाराम। बिहार के रोहतास में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इस दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, राज्यसभा के पूर्व सदस्य सह कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह व अन्य मौजूद रहे। इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि विश्व में जो पहचान मिली है, वह आदिशक्ति भगवती के ही कारण है, जो की प्रकृति के रूप में विराजती हैं। वही भक्ति और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। हमारा संस्कार और हमारी संस्कृति में क्या संबंध है, इसे लेकर इतिहास के पन्नों में कहीं ना कहीं भड़काने का प्रयास हुआ। गुलामी की मानसिकता में ये सारी चीजें हम भूल गए।
विजय सिन्हा ने आगे कहा कि अपने शक्ति, भक्ति और मुक्ति के मार्ग के परिणाम ही भारत का वैभव विश्व गुरु के रूप में है, जिसके चलते हम नेतृत्व करते थे। भारत की कल्पना कोई राजनेता ने नहीं किया था। भारत विश्व गुरु बनेगा। हम 21वीं सदी में हैं और यह महज संयोग नहीं है कि आज विश्व के कई देश बुढ़ापा की ओर अग्रसर है और हमारा देश युवाओं का देश हैं। देश को आगे बढ़ाने के लिए अतीत को पढ़ना आवश्यक है। अतीत से जब हम सबक लेंगे तब वर्तमान में सुधरेंगे और भविष्य बनाएंगे। हजार वर्ष के अतीत से हमको सबक लेना है।
विजय सिन्हा ने कहा कि किन विकारों और किन बंधनों से हम गुलाम हुए थे। आसुरी मानसिकता के लोगों ने हमारी प्रकृति से हमको अलग-अलग किया था। हम प्रकृति से दूर क्यों बने थे और यह प्रकृति के स्वरूप में महिला सशक्तिकरण का जो सम्मान का भाव आज हमारे देश के सक्षम व्यक्तित्व वातावरण को आगे बढ़ने का कल्याण के पद पर चलेगा। विश्वविद्यालय के संस्थापक गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा। विश्व में पहला विश्वविद्यालय नालंदा था। 1889 में ब्रिटिश सरकार ने सर्वे कराया था।
उस वक्त बिहार-बंगाल की साक्षरता दर 90 प्रतिशत थी। 50 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित थीं। आजादी के बाद बिहार का साक्षरता दर 20 प्रतिशत हो गया। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेवार है?, यह सोचना होगा। वहीं, सभा को संबोधित करते हुए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि आज कार्यक्रम जो चल रहा है और आने वाले कल तक रहेगा, इस कार्यक्रम में आप सहभागी हो चुके हैं और इस विषय में जो चर्चा होगी, उसके निचोड़ को सबके सामने रखेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति शुरू से महिलाओं के उत्थान में अहम भूमिका निभा रही है। नेतागिरी पर चुटकी लेते हुए कहा गुड और बैड पोल्टिशियन दोनों का समन्वय असमंजस की स्थिति बनाती है। भारत विश्व शिक्षा का केंद्र शुरुआत से ही रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय, तक्ष शीला समेत कई शिक्षण का केंद्र रहे हैं। ऋग्वेद विश्व की प्राचीन लिखित वेद में शिक्षक-शिक्षिका को आचार्य और आचार्या के रूप में उद्रित है।