पटना। बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच विश्वविद्यालयों के मुद्दे पर तकरार बढ़ती ही जा रही है। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा 15 मार्च को बुलाई गई बैठक में कुलपतियों के जाने पर रोक लगा दी गई है। राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों के वीसी को इस बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी है। इससे पहले 7 मार्च को यह बैठक बुलाई गई थी, उसमें भी राजभवन की रोक के बाद एक भी वीसी ने हिस्सा नहीं लिया था। इसके बाद केके पाठक ने बैठक को रद्द कर 15 मार्च को फिर से मीटिंग बुलाई।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने पिछले महीने विश्वविद्यालयों में लंबित परीक्षाओं के मुद्दे पर सभी वीसी, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रकों की बैठक बुलाई थी। 28 फरवरी को पहली बैठक में कोई भी वीसी एवं कुलसचिव नहीं आए थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने अनुपस्थित रहने वाले पदाधिकारियों का वेतन बंद करने का आदेश जारी कर दिया था। बाद में उनपर एफआईआर की कार्रवाई की भी बात कही गई। इसके बाद शिक्षा विभाग ने 7 मार्च को फिर से यह बैठक आयोजित की। इसमें भी कोई वीसी शामिल नहीं हुए। अब 15 मार्च को होने वाली बैठक में भी कुलपतियों के शामिल होने के आसार कम हैं। क्योंकि राजभवन ने उन्हें इसमें जाने की अनुमति नहीं दी है।
दो दिन पहले राजभवन ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर जवाब-तलब किया था। राज्यपाल की ओर से पूछा गया कि शिक्षा विभाग ने अभी तक 28 फरवरी के आदेश वापस लेने की कोई जानकारी नहीं दी है। उस आदेश में केके पाठक की मीटिंग में शामिल नहीं होने वाले पदाधिकारियों का वेतन बंद करने की बात कही गई थी। हालांकि, बाद में सरकार के स्तर पर सुलह होने के बाद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने आदेश वापस लेने का आश्वासन दिया था। राजभवन ने विश्वविद्यालयों के वीसी एवं अन्य पदाधिकारियों के बिना अनुमति के मुख्यालय छोड़ने पर रोक लगाई हुई है। इस कारण वे शिक्षा विभाग की बैठकों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं।