बच्चों में बढ़ते कुपोषण को देख पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में बढ़ाई गयी बिस्तरों की संख्या
सासाराम। कुपोषण को दूर करने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति लगातार प्रयासरत है। इसके लिए सदर अस्पताल में बनाए गए पोषण पुनर्वास केंद्र पर भी विशेष बल दिया जा रहा है। साथ ही बच्चों के गुणवत्तापूर्ण पोषण पर ध्यान दिया जा रहा हैं। जिले में बच्चों में बढ़ते कुपोषण को देखते हुए सदर अस्पताल स्थित एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में बेड़ों की संख्या में भी इजाफा किया गया है। पहले 20 बेड़ों वाला एमआरसी को संचालित किया जाता है लेकिन बढ़ते बच्चों को देखते हुए इसे बढ़ते हुए 30 बेड का एनआरसी कर दिया गया है। बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए बच्चे के जन्म से पूर्व और जन्म के बाद तक रखरखाव के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, ताकि आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वस्थ हो। आंगनवाड़ी केंद्रों से लेकर सरकारी अस्पतालों तक सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चे के जन्म से पूर्व गर्भवती मां एवं बच्चे के जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को बेहतर पोषण मिले इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। इन्हीं योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में अति कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए (एनआरसी) पोषण पुनर्वास केंद्र का निर्माण कराया गया है जहां अति कुपोषित बच्चों को बेहतर रखरखाव और उचित पोषण के माध्यम से उनका देखभाल किया जा सके।
एक साल में 150 कुपोषित बच्चे हुए भर्ती
गर्भवती महिलाओं में जागरूकता की अभाव की वजह से बच्चों में कुपोषण बढ़ता जा रहा है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाएं उचित आहार नहीं ले पा रही है जिस वजह से बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2022-23 में एनआरसी में जहां 82 बच्चों को भर्ती कराया गया था वही वर्ष 2023-24 में 150 कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती करा कर उन्हें पोषित किया गया। जिले में आईसीडीएस और आरबीएसके को कुपोषित बच्चों को नोटिफाई कर एनआरसी में भर्ती कराने का जिम्मा दिया गया है।
कुपोषित बच्चों का बेहतर इलाज
एनआरसी के नोडल पदाधिकारी डीपीसी संजीव मधुकर ने बताया कि जिले में लगातार कुपोषित बच्चे मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुपोषित बच्चों को नोटिफाई कर के एनआरसी में भर्ती कराया जा रहा है और 24 घंटे स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में उचित आहार उपलब्ध कराया जाता है। डीपीसी ने बताया कि उचित आहार मिलने की वजह से कुपोषित बच्चे जल्द पोषित हो जाते हैं। कुपोषण को लेकर अभी भी लोगों में थोड़ी जानकारी का अभाव देखा जा रहा है। कुछ माता-पिता अभी भी कुपोषण से पीड़ित बच्चों का इलाज कराने से कतराते हैं। जबकि बच्चों को समय से इलाज कराया जाए और उन्हें बेहतर पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाए तो कुपोषण से छुटकारा मिलने की संभावना है। संजीव मधुकर ने बताया एनआरसी को लगातार बेहतर किया जा रहा है। 20 बेड वाले एनआरसी को बढ़ा कर 30 बेड का कर दिया गया हैं ताकि एक साथ तीस बच्चों को पोषित किया जा सके।